scriptघोषणा को एक साल होने को हैं पर सक्ती जिले के नाम पर आज तक एक ईंट भी नहीं रखी गई | It is one year since the announcement, but till date not even a brick | Patrika News

घोषणा को एक साल होने को हैं पर सक्ती जिले के नाम पर आज तक एक ईंट भी नहीं रखी गई

locationजांजगीर चंपाPublished: Aug 08, 2022 10:01:17 pm

नवगठित जिला सक्ती को घोषण हुए १५ अगस्त को एक साल हो जाएगा। लेकिन जिले के नाम पर आज तक एक धेला भी नहीं रखा गया। लोगों की आंखों में धूल झोंकने के लिए दो प्रमुख विभागों के ओएसडी नियुक्ति कर कर दिया गया है।

घोषणा को एक साल होने को हैं पर सक्ती जिले के नाम पर आज तक एक ईंट भी नहीं रखी गई

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जो अक्सर शहर में ही दिखाई नहीं पड़ते एक अफसर ने तो अपना मुख्यालय जांजगीर ही बना रखा है। तो दूसरे अफसर ने एक कमरे में दफ्तर बना सिमटकर रह गए हैं। जिसके चलते शहरवासियों में मायूसी देखी जा रही है। सूत्रों का तो यह भी कहना है कि जिला बनाने की कवायद को दिसंबर तक टाल दी गई है। वहीं दूसरी ओर माना जा रहा है कि विधानसभा चुनाव के पहले ही इसे मूर्तरूप देंगे। क्योंकि उस वक्त वोट बटोरने की बारी आएगी। गौरतलब है कि सक्ती को जिला बनाने की घोषणा १५ अगस्त २०२१ में सीएम भूपेश बघेल द्वारा की गई थी। घोषणा को अब ठीक एक साल हो जाएंगे। लेकिन अब तक सिर्फ यह तय हो पाया है कि जिले के भीतर इतने ब्लाक व इतने गांव शामिल होंगे। लेकिन दूसरी ओर आज तक इसके लिए और कुछ भी कवायद नहीं की गई। छह माह पहले सक्ती के सर्वदलीय मंच व शहरवासी यह चाह रहे थे कि सक्ती का जिला मुख्यालय कहें या कार्यालय शहर के बीच बनाई जाए। लेकिन प्रशासन के सामने भवनों के लिए पर्याप्त स्पेस नहीं होना बताया जा रहा था। इसके लिए जेठा में सैकड़ों एकड़ सरकारी जमीन उपलब्ध है। लेकिन शहरवासियों का कहना था कि जेठा में जिला मुख्यालय बनने से शहवासियों को काम निकालने के लिए दूर जाना पड़ेगा। आखिरकार मामला ठंडे बस्ते में चला गया।
सत्ता पक्ष के नेताओं की आपस की लड़ाई का नतीजा
सूत्रों का यह भी कहना है कि कांग्रेसियों की आपस की लड़ाई शहर विकास में बाधा बन रही है। क्योंकि कांग्रेसी ही दो फाड़ में है। जिसका फायदा सरकार उठा रही है। यही वजह है कि आज तक इस जिले के विकास के नाम पर एक ईंट भी नहीं रखी गई है। शहर में इस बात की भी चर्चा है कि स्थान चयन को लेकर मामला अब कोर्ट भी चला गया है। इसका फैसला दिसंबर तक आने की संभावना है। लिहाजा सक्तीवासियों को दिसंबर के बाद ही कुछ उम्मीद की किरणें दिखाई देगी।
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