जांजगीर चंपा

जल जीवन मिशन: हैंडओवर का फंस रहा पेंच, पंचायतें लेने को तैयार नहीं

जल जीवन मिशन योजना में अब सबसे बड़ी समस्या हैंडओवर की खड़ी हो गई है। ठेकेदारों पर जहां पंचायतों को जल्द से जल्द हैंडओवर कराने अफसरों की ओर से दबाव डाला जा रहा है तो वहीं सरपंच-सचिव हैंडओवर लेने को ही तैयार नहीं हो रहे हैं। क्योंकि जल जीवन मिशन के काम की स्थिति कैसी है, यह बात किसी से छिपी नहीं है।

जांजगीर चंपाApr 12, 2024 / 08:58 pm

Anand Namdeo

जल जीवन मिशन: हैंडओवर का फंस रहा पेंच, पंचायतें लेने को तैयार नहीं

करोड़ों के काम के बाद भी शत-प्रतिशत घरों में आज भी पानी नहीं पहुंच पा रहा। ऐसी ििस्थत में हैंडओवर लेते ही पूरा जिम्मा पंचायत के मत्थे मढ़ जाएगा। इसको लेकर सरपंच-सचिव हाथ खड़े कर रहे हैं। इसके चलते ठेकेदारों की भी मुसीबत बढ़ गई है। वे किसी भी तरह से हैंडओवर कराने चाह रहे हैं। इसके लिए कभी सरपंच-सचिवों पर दबाव बनाया जा रहा है तो मान-मनौव्वल तक कर रहे हैं कि किसी भी तरह हैंडओवर हो जाए। इधर हैंडओवर नहीं लेने से पीएचई के रिकार्ड भी काम पूर्ण नहीं दिख पा रहा है। नौबत ऐसी आ गई है कि तीन सालों से स्वीकृत कार्यों में से हैंडओवर का आंकड़ा 10 फीसदी भी नहीं पहुंच पा रहा है जबकि 880 पंचायतों में काम स्वीकृत हुआ है। अधिकांश पंचायतों में टाइम लिमिट खत्म हो चुकी है लेकिन अब तक हैंडओवर नहीं हो पाया है।
हैंडओवर नहीं होने से ठेकेदारों को दोहरा नुकसान

इधर पंचायतों के द्वारा हैंडओवर नहीं लेने से ठेकेदारों को दोहरा नुकसान हो रहा है। पहला काम हो जाने के बाद भी हैंडओवर नहीं होने से फाइनल भुगतान की राशि रूक गई है तो दूसरा पंचायतों में पानी सप्लाई का काम अब भी उन्हें ही कराना पड़ रहा है। इसके लिए एक व्यक्ति रखना पड़ रहा है और हर माह तनख्वाह दे रहे हैं। नहीं तो गांव में पानी सप्लाई ठप हो जाएगी। इस चक्कर में ठेकेदार पीस रहे हैं और हैंडओवर देने छटपटा रहे हैं। ऐसे एक ही दर्जनों पंचायतें हैं जो हैंडओवर लेने से साफ हाथ खड़े कर चुके हैं। उन पंचायतों के सरपंच-सचिवों का साफ कहना है कि हमें हैंडओवर लेकर अपने पैरों में कुल्हाड़ी नहीं मारनी है। सही ढंग से काम पूरा करके हरेक घरों तक पानी पहुंचाकर देंगे तभी हैंडओवर लेंगे। दूसरा संचालन के लिए किसी तरह फंड भी नहीं मिला है। पंप ऑपरेटर रखेंगे उसे तनख्वाह कहां से देंगे, यह भी समस्या आएगी।
कार्य पूर्ण हो जाने के बाद छह माह तक ठेकेदारों को संचालन करना होता है। इसके बाद पंचायतों को हैंडओवर किया जाना है। ठेकेदारों को तय समय पर काम पूर्ण कराने निर्देशित किया गया है। पीएस सुमन, ईई

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