अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहे तालाब
जांजगीर चंपाPublished: Apr 30, 2016 01:38:00 pm
तालाबों के मामले में यह जिला संपन्न है। प्रदेश भर में सर्वाधिक तालाब इसी
जिले में हैं, मगर रखरखाव के अभाव में तालाब बेहाल हैं। अधिकांश तालाबों
का पानी गर्मी में सूख जाता है।
Are shedding tears over their plight pond
जांजगीर-चाम्पा. तालाबों के मामले में यह जिला संपन्न है। प्रदेश भर में सर्वाधिक तालाब इसी जिले में हैं, मगर रखरखाव के अभाव में तालाब बेहाल हैं। अधिकांश तालाबों का पानी गर्मी में सूख जाता है। इससे भू जल स्तर भी लगातार गिर रहा है मगर तालाबों की सुरक्षा पर किसी का ध्यान नहीं है। अभी से कई गांवों के तालाब सूख गए, वहीं कई तालाबों के पानी प्रदूषित हो गए। ज्यादातर तालाब अतिक्रमण की भेंट चढ़ गए।
जिले में कुल 7 हजार 652 तालाब हैं, इसमें 4 हजार 457 तालाब शासकीय व 2 हजार 986 निजी तालाब हैं। इस तरह तालाबों के मामले में प्रदेश में यह जिला अव्वल हैं। इन तालाबों में से अधिकांश में मछली पालन भी होता है। इन तालाबों की क्षमता 40 हेक्टेयर से 150 हेक्टेयर की भूमि की ंिसंचाई करने की क्षमता पहले थी। इसके कारण नहर के अभाव में भी गांवों में तालाब से ंिसंचाई कर फसल उत्पादन किया जाता था, मगर कुओं व हैण्डपंपों के बढ़ने से तालाबों की उपेक्षा होने लगी। तालाबों की साफ सफाई पर भी ध्यान नहीं दिया जाता। जिसके कारण तालाब की गहराई कम होती गई और इनका जल भराव क्षमता भी कम हो गया। ज्यादातर गांवों के तालाब के पार व किनारें में लोगों ने अतिक्रमण कर घर, खलिहान और दुकान बना लिया। कई लोगों ने तालाब की भूमि को खेत भी बना लिया। इसके चलते तालाबों की स्थिति दयनीय है। एक ओर जहां तालाबों का रकबा घट रहा है, वहीं जल भराव क्षमता भी कम हो रही है।
ऐसे में भू जल स्तर पर भी प्रभाव पड़ा है। ग्रामीण भी अब घर-घर हैण्डपंप व बोर लगा रहे हैं। तालाब पर निर्भरता कम हुई है, मगर तालाबों के रख रखाव की ओर किसी का ध्यान नहीं है। मनरेगा के तहत तालाबों के गहरीकरण की योजना है, मगर इससे भी गिनती के ही तालाबों का गहरीकरण हुआ है। पूर्व के तीन वर्षो में यहां गहरीकरण के नाम पर भारी अनियमितता भी बरती गई है। जिसकी जांच अब तक पूरी नहीं हो पाई है।