ब्लड बैंक प्रभारी छुट्टी पर, मरीजों को खून चढाने के लिए भी लगाईये चक्कर नहीं तो घातक होंगे परिणाम
जांजगीर चंपाPublished: Jul 22, 2017 03:33:00 pm
जिला अस्पताल में ब्लड चढ़वाना है तो डॉक्टरों मान मनोव्वल करनी पड़ेगी।
नहीं किया तो चाहे आपका मरीज मर जाए, लेकिन डॉक्टर ब्लड चढ़ाने वाला नहीं
है।
Blood bank incharge goes in leave
संजय राठौर/जांजगीर-चांपा. जिला अस्पताल में ब्लड चढ़वाना है तो डॉक्टरों मान मनोव्वल करनी पड़ेगी। नहीं किया तो चाहे आपका मरीज मर जाए, लेकिन डॉक्टर ब्लड चढ़ाने वाला नहीं है।
वर्तमान में ब्लड बैंक प्रभारी के छुट्टी में जाने के बाद से अस्पताल की स्थिति और बदतर हो गई है। ब्लड चढ़वाने के लिए मरीज डॉक्टरों के आगे-पीछे चक्कर काट रहे हैं।
इसके बाद भी डॉक्टर इस नाम से मरीजों को दर-दर भटका रहे हैं क्योंकि उन्हें अधिकृत रूप से ब्लड बैंक का चार्ज नहीं मिला है। ब्लड चढ़ाने को लेकर आए दिन अस्पताल में मरीज के परिजनों से डॉक्टरों की झड़प हो रही है।
ऐसा ही एक मामला गुरुवार को भी सामने आया। जब डॉक्टर ने मरीज को ब्लड लगाने से मना कर दिया। बात सिविल सर्जन तक पहुंची तो उन्होंने इंचार्ज डॉक्टर को समझाया और तब जाकर मरीज को ब्लड चढ़ाया गया।
डॉक्टर भगवान का दूसरा रूप होता है, लेकिन यह कहावत जिला अस्पताल के डॉक्टरों के लिए सही नहीं है। यहां के डॉक्टरों के भीतर से मानवता खत्म हो चुकी है। मरीज चाहे मरे या जिए उनसे कोई मतलब नहीं है।
लगातार शिकायत के बाद भी डॉक्टर मनमर्जी से काम कर रहे हैं। गुरुवार को हुए वाकये में एक एनीमिक पेशेंट को ब्लड चढ़ाना था, लेकिन कोई डॉक्टर यह कार्य करने को तैयार नहीं था
और परिजन डॉक्टरों से ब्लड चढ़ाने के लिए ड्यूटी में तैनात डॉ. आरएस सिदार से गिड़गिड़ा रहे थे, लेकिन उन्होंने ब्लड चढ़ाने से मना कर दिया। इससे परिजन भड़क गए और डॉक्टर से झगड़ा करने लगे।
मामला बढऩे पर शिकायत कलेक्टर तक पहुंची। कलेक्टर ने सिविल सर्जन को फटकारा इसके बाद डॉ. सिदार को ब्लड चढ़ाने के लिए आदेशित किया गया और मरीज को ब्लड चढ़ाया गया।
इसलिए मामला ने पकड़ा तूल– बताया जा रहा है कि ब्लड बैंक प्रभारी डॉ. प्रताप सिंह कुर्रे इन दिनों छुट्टी पर हैं। उनके छुट्टी में जाने के बाद ब्लड बैंक का प्रभार किसी के पास नहीं है।
यह काम जिला अस्पताल में ड्यूटीरत डॉक्टरों को देखना है। गुरुवार को डॉ. आरएस सिदार की ड्यूटी थी। इस दौरान एनीमिक पेंशेट बड़ी संख्या में भर्ती हुए। पेशेंट ब्लड डोनर को साथ लेकर ब्लड की व्यवस्था तो कर ले रहे थे।
ब्लड भी एक्सचेंज में मिल जा रहा था, लेकिन मरीज को ब्लड चढ़ाने के लिए प्रिस्कृप्शन में दस्तखत करने के लिए डॉक्टर तैयार नहीं थे। डॉ. सिदार ने स्पष्ट कहा कि मैं ब्लड बैंक का प्रभारी नहीं हूं मैं रिस्क नहीं लूंगा। मरीज की बिगड़ती हालत देख परिजन भड़क गए और मामला बढ़ गया।
विवादों से गहरा नाता है डॉ. सिदार का– जिला अस्पताल के डॉक्टर आरएस सिदार का विवादों से गहरा नाता है। जिला अस्पताल में रेडियोलाजिस्ट के पद पर तैनात डॉक्टर अक्सर छुट्टी में रहते हैं। जिसके चलते जिला अस्पताल का सोनोग्राफी सेंटर आधे दिन बंद रहता है।
डॉक्टरों की कमी होने से वह किसी भी अधिकारी या कलेक्टर तक के निर्देश को नहीं मानते और अपनी मर्जी से ड्यूटी करते हैं।
केस-01
जिला अस्पताल में तिलेश्वरी पति घनश्याम की जचकी के दौरान होने वाले बच्चे के शरीर में मात्र 8 ग्राम ब्लड था। उसे ब्लड की जरूरत थी। उसने डोनर के माध्यम से ब्लड भी मिल गया, लेकिन डॉक्टर सिदार ने उसे ब्लड चढ़ाने से मना कर दिया। मरीज के परिजन भटकते रहे, लेकिन डॉक्टर ने बच्चे को ब्लड नहीं चढ़ाया।
केस-02
अशोक पिता बुधराम यादव को ब्लड की जरूरत थी। वह एनीमिक पेशेंट था। वह किसी तरह ब्लड डोनर लाया। डोनर ने ब्लड भी दे दिया लेकिन उसे ब्लड चढ़ाने के लिए डॉक्टर नहीं मिल रहा था। वह ड्यूटी में मौजूद डॉ. सिदार का चक्कर काटता रहा, लेकिन सिदार ने उलरी एर न सुनी। बड़ी मुश्किल से शुक्रवार सुबह उसे ब्लड चढ़ा।
केस-03
मुकेश कुमार पिता रामेश्वर यादव के शरीर में ब्लड बहुत कम था। उसे सिकलसेल की शिकायत थी। वह गुरुवार को जिला अस्पताल पहुंचा। वह ब्लड डोनर साथ लाया था। डोनर से ब्लड जरूर मिल गया, लेकिन जिला अस्पताल में मौजूद डॉक्टर ने उसे ब्लड लगाने से मना कर दिया। वह डॉक्टरों से इसके लिए गुहार लगाता रहा।