गौरतलब है कि जांजगीर खेल जोन में सोमवार को संभाग स्तरीय शालेय क्रीड़ा प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था। जिसमें जांजगीर, सक्ती के अलावा कोरबा जिले के 488 खिलाडिय़ों ने भाग लिया था। तयशुदा प्लानिंग में खिलाडिय़ों को सुबह आठ बजे खेल मैदान में उपस्थित होना था, लेकिन दूर दराज से आए खिलाड़ी सुबह 11 बजे के बाद उपस्थित हुए। खिलाडिय़ों को आपाधापी में हैंडबाल, कबड्डी, बाल बैडमिंटन, रकबी फुटबाल, थ्रोबाल, साफ्ट बाल खिलाया गया। लगभग तीन घंटे के बीच सभी छह प्रकार के खेल खिलाडिय़ों से खिलाया गया इसके बाद दोपहर तीन बजे के करीब भोजन कराकर चलता कर दिया गया।
इस तरह किया जाता है फंड से खेल
खेल प्रतियोगिता आयोजन करने के लिए प्रत्येक खिलाडिय़ों के पीछे एक टाइम के भोजन के लिए 100 रुपए का फंड आता है। जिसमें सुबह शाम और एक दिन अतिरिक्त मिलाकर तीन टाइम का भोजन खिलाडिय़ों को देना रहता है। इसके अलावा एक प्रतियोगिता में प्रत्येक मैदान में चूना लगाने सहित अन्य खर्च के लिए सात हजार रुपए अतिरिक्त दिया जाता है।
खिलाडिय़ों की जुबानी
कोरबा जिले से खेल प्रतियोगिता में शामिल होने आई एक खिलाड़ी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि वह सुबह अपने घर से टिफिन लेकर आई थी। दोपहर ढाई बजे तक उसे खाने में कुछ भी नहीं दिया गया था। शाम को भोजन देने की बात कह रहे थे। इसी तरह सक्ती शैक्षणिक जिले के डभरा से आई खिलाड़ी ने बताया कि सुबह उसे नाश्ते के रूप में दो केला दिया गया था। इसके बाद उसे ढाई बजे तक भूखे रह खेल खेलना पड़ा। उसने बताया कि उसके पास बिस्किट था उसे खाकर खेल प्रतिभा का प्रदर्शन किया।
-खेल प्रतियोगिता में सीमित फंड रहता है। जिसे खिलाडिय़ों के पीछे खर्च किया जाता है। घालमेल का आरोप बेबुनियाद है।
-एनपी गोपाल, जिला खेल अधिकारी