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वाह रे खेल विभाग.. तीन घंटे में संभाग स्तरीय खेल प्रतियोगिता कराकर कर दिया लाखों का खेल

locationजांजगीर चंपाPublished: Sep 03, 2018 07:51:07 pm

Submitted by:

Shiv Singh

खिलाडिय़ों को तीन बजे तक नहीं मिल पाया भोजन, घर के टिफिन से भरा पेट

खिलाडिय़ों को तीन बजे तक नहीं मिल पाया भोजन, घर के टिफिन से भरा पेट

खिलाडिय़ों को तीन बजे तक नहीं मिल पाया भोजन, घर के टिफिन से भरा पेट

जांजगीर-चांपा. जांजगीर के मॉडल हाईस्कूल मैदान में आयोजित संभाग स्तरीय खेल प्रतियोगिता के आयोजन में खेल अधिकारियों ने लाखों का खेल कर दिया। आयोजकों ने न तो खिलाडिय़ों के लिए समय पर भोजन की व्यवस्था करा पाए और न ही उनके लिए चाय नास्ते की व्यवस्था थी। 200 से 300 किलोमीटर दूर से आए खिलाडिय़ों ने अपने घर से लाए टिफिन से पेट भरना पड़ा।
टिफिन खाकर दोपहर तीन बजे तक जमकर पसीना बहाया इसके बाद उनके लिए चावल दाल की व्यवस्था की थी उसे खाकर चलते बने। वहीं खेल अधिकारियों ने खेल के नाम पर आए लाखों के फंड में खेल कर दिया। नियम के मुताबिक खिलाडिय़ों को तीन टाइम का डीए पास होता है। जिसमें एक टाइम का डिनर कराकर शेष राशि में बंदरबांट कर लिया जाता है।
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गौरतलब है कि जांजगीर खेल जोन में सोमवार को संभाग स्तरीय शालेय क्रीड़ा प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था। जिसमें जांजगीर, सक्ती के अलावा कोरबा जिले के 488 खिलाडिय़ों ने भाग लिया था। तयशुदा प्लानिंग में खिलाडिय़ों को सुबह आठ बजे खेल मैदान में उपस्थित होना था, लेकिन दूर दराज से आए खिलाड़ी सुबह 11 बजे के बाद उपस्थित हुए। खिलाडिय़ों को आपाधापी में हैंडबाल, कबड्डी, बाल बैडमिंटन, रकबी फुटबाल, थ्रोबाल, साफ्ट बाल खिलाया गया। लगभग तीन घंटे के बीच सभी छह प्रकार के खेल खिलाडिय़ों से खिलाया गया इसके बाद दोपहर तीन बजे के करीब भोजन कराकर चलता कर दिया गया।
मैच में क्या परिणाम आए किसने बाजी मारी यह सब कागजों में सिमटकर रह गया था। शाम को खिलाडिय़ों को भोजन कराया और अपने अपने मुकाम तक चलते बने। आयोजकों ने न तो किसी अफसर को खेल की जानकारी दी और ही खेल प्रतियोगिता के कार्यक्रम में उद्घाटन या समापन का कार्यक्रम कराया।


इस तरह किया जाता है फंड से खेल
खेल प्रतियोगिता आयोजन करने के लिए प्रत्येक खिलाडिय़ों के पीछे एक टाइम के भोजन के लिए 100 रुपए का फंड आता है। जिसमें सुबह शाम और एक दिन अतिरिक्त मिलाकर तीन टाइम का भोजन खिलाडिय़ों को देना रहता है। इसके अलावा एक प्रतियोगिता में प्रत्येक मैदान में चूना लगाने सहित अन्य खर्च के लिए सात हजार रुपए अतिरिक्त दिया जाता है।

जिसमें खेल आयोजकों द्वारा खिलाडिय़ों को सुबह का नास्ता एवं एक टाइम का भोजन देकर प्रतियोगिता का समापन कर दिया जाता है। साल में तकरीबन छह से सात बार खेल प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। जिसमें फंड में भोजन के नाम पर बड़ा खेल किया जाता है। इतना ही नहीं दूर दराज के खिलाडिय़ों के लिए यात्रा भत्ता सहित अन्य मदों में बड़ा फंड का घालमेल किया जाता है।


खिलाडिय़ों की जुबानी
कोरबा जिले से खेल प्रतियोगिता में शामिल होने आई एक खिलाड़ी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि वह सुबह अपने घर से टिफिन लेकर आई थी। दोपहर ढाई बजे तक उसे खाने में कुछ भी नहीं दिया गया था। शाम को भोजन देने की बात कह रहे थे। इसी तरह सक्ती शैक्षणिक जिले के डभरा से आई खिलाड़ी ने बताया कि सुबह उसे नाश्ते के रूप में दो केला दिया गया था। इसके बाद उसे ढाई बजे तक भूखे रह खेल खेलना पड़ा। उसने बताया कि उसके पास बिस्किट था उसे खाकर खेल प्रतिभा का प्रदर्शन किया।

-खेल प्रतियोगिता में सीमित फंड रहता है। जिसे खिलाडिय़ों के पीछे खर्च किया जाता है। घालमेल का आरोप बेबुनियाद है।
-एनपी गोपाल, जिला खेल अधिकारी

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