किसानों का कहना है
डभरा क्षेत्र के सपिया गांव के किसान लक्ष्मी प्रसाद राठौर ने बताया कि उसने तीन एकड़ में धान की बोनी की थी। जिसमें दो एकड़ में धान की एक बालियां भी खलिहान तक नहीं पहुंचा। इसी तरह गौरव ग्राम अफरीद के किसान रामशरण राठौर ने बताया कि भूरा माहो के कारण उसका 20 प्रतिशत धान का उत्पादन प्रभावित हो रहा है। पहले जिस खेत में 30 बोरी धान हो रहा था उस खेत में इस साल २५ बोरी धान हो रहा है।
समितियों में बढ़ी परेशानी
सरकार समर्थन मूल्य में धान की खरीदी कर रही है लेकिन नए नियम ने किसानों को अच्छा उलझा दिया है। पहले मनमाफिक दिनों में चाहे जब भी हो धान की बिक्री करते थे, लेकिन अब पहले टोकन लेना पड़ेगा। जब उनकी तिथि तय होगी तभी समितियों में धान की बिक्री कर सकेंगे। इसी तरह कई समितियों में बारदाना नहीं होने की वजह से किसानों को धान बिक्री की तिथि मिल रही है। कई समितियों में पर्याप्त बारदाना नहीं मिलने के कारण धान की बिक्री प्रभावित हो रही है।
टॉप खरीदी केंद्र
जिले में पांच ऐसे स्थान हैं जहां सबसे अधिक धान की खरीदी हुई है। नैला जांजगीर से सटे ग्राम सिवनी में 15 दिनों में सबसे अधिक 13 हजार क्ंिवटल धान की खरीदी हो चुकी है। दूसरे क्रम में पामगढ़ क्षेत्र के लगरा समिति में अब तक 12 हजार क्ंिवटल धान की खरीदी हुई है। इसी तरह लोहर्सी में 10 हजार क्विंटल तो कचंदा जैजैपुर में 9 हजार और कोरबी समिति में अब तक साढ़े 8 हजार क्ंिवटल धान की खरीदी हो चुकी है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि इन क्षेत्रों में भूरा माहो का प्रकोप कम था। वहीं सबसे कम खरीदी में कुम्हारीकला, गतवा व अमोदा में धान की आवक बेहद कम बताया जा रहा है। यहां आंकड़ा अभी हजार क्ंिवटल भी नहीं पहुंच पाया है।