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पुलिसकर्मियों, नव विभाग व नगरसैनिकों ने शुरू किया मतदान

locationजांजगीर चंपाPublished: Apr 16, 2019 08:51:44 pm

Submitted by:

Vasudev Yadav

मतदान के समय नगरसैनिकों में दिखी सरकार के प्रति नाराजगी

मतदान के समय नगरसैनिकों में दिखी सरकार के प्रति नाराजगी

पुलिसकर्मियों, नव विभाग व नगरसैनिकों ने शुरू किया मतदान

जांजगीर-चांपा. लोकसभा चुनाव के लिए एसपी कार्यालय में डाक मतपत्र से मतदान शुरू हो चुका है। इसके लिए ११२५ लोगों की लिस्ट एसपी कार्यालय को मिली थी। जिसमें शाम ४ बजे तक १५८ लोगों ने मतदान किया है। यानी मतदान के लिए वर्दीधारियों में भी जागरूकता नहीं आई है। हालांकि काम का बोझ कहें या ड्यूटी की व्यस्तता के चलते कर्मचारी वोट डालने नहीं पहुंच पाए होंगे। इसके कारण पहले दिन तकरीबन मात्र दस फीसदी मतदान हो पाया है। सबसे अधिक नगरसैनिकों ने ६८ वोट डाले। इसके बाद दूसरे क्रम में पुलिसकर्मियों में जागरूकता दिखाई। सबसे कम वन विभाग के कर्मचारियों ने वोट डाला। हालांकि अभी वोट के लिए तीन दिन समय शेष है। आने वाले दो दिनों में मतदान की संख्या बढ़ सकती है।
जिला निर्वाचन अधिकारी के पहल पर एसपी आफिस में पुलिसकर्मियों, वन विभाग के कर्मचारियों व नगरसैनिकों के लिए डाक मतपत्र से मतदान करने की पहली बार नई सुविधा प्रदान की गई है। १६ से १८ अप्रैल तक जिले के तीनों विभाग के तकरीबन ११२५ कर्मचारियों को तीन दिन तक डाकमतपत्र से वोट डालने की सुविधा प्रदान की गई है। पहले दिन कर्मचारियों ने उत्साह से वोट डालने एसपी आफिस पहुंचे लेकिन अपेक्षानुरूप वोट नहीं डल पाया। पहले दिन ५७४ पुलिसकर्मियों में मात्र ५५ कर्मचारी ही वोट डालने पहुंचे। इसी तरह वनविभाग के २९८ कर्मचारियों में मात्र ३५ ने वोट डाला। वहीं सबसे अधिक नगरसैनिकों ने वोट डालने के लिए रुचि ली। २५३ नगरसैनिकों में ६८ कर्मचारियों ने शाम चार बजे तक वोट डाला था। इन कर्मचारियों को १८ अप्रैल तक एसपी आफिस में वोट डालने के लिए सुविधा प्रदान की गई है।

नगरसैनिकों की सरकार के प्रति दिखी नाराजगी
नगरसैनिक आजादी से अब तक चंद रुपयों में सरकार की नौकरी कर रहे हैं। पहले तो उन्हें हजार रुपए ही वेतन मिलते आ रहा था। इसके बाद वेतन बढ़कर तीन हजार से पांच हजार होते हुए अब तक १३ हजार रुपए ही बढ़ पाया है। जिसके चलते नगरसेना के कर्मचारियों में अच्छी खासी नाराजगी दिखाई दी। कर्मचारियों का कहना है कि एक ओर उन्हें हाड़तोड़ मेहनत करनी पड़ रही है वहीं दूसरी ओर सरकार मात्र १३ हजार रुपए सैलरी दे रही है। जबकि कई विभाग के कर्मचारियों को संविलियन हो चुका है। उनसे कई गुना अन्य कर्मचारी वेतन पा रहे हैं, लेकिन सरकार उनसे लगातार भेदभाव करते आ रही है। आज भी वे न्यूनतम वेतनमान पर काम करने मजबूर हैं। जबकि मध्यप्रदेश सरकार सहित अन्य कई प्रदेशों में नगरसैनिकों को २० हजार रुपए से अधिक वेतन मिल रहा है। जिसके चलते कर्मचारी मुफलिसी की जिंदगी जीने मजबूर हैं।

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