'नर-मादाÓ धान ने किसानों की बदल दी तकदीर
'नर-मादाÓ धान की खेती कर जिले के किसान अब नेशनल लेवल पर अपनी डंका बजाने की कोशिश कर रहे हैं। इस धान की खेती पर किसानों को 'क्रॉस पॉलीनेशनÓ में थोड़ी परेशानी जरूर होती है लेकिन इस धान की उपज ने किसानों की तकदीर बदल दी है। क्योंकि 'नर-मादाÓ धान की कीमत ८ हजार रुपए क्ंिवटल है।
जांजगीर चंपा
Updated: April 18, 2022 08:55:09 pm
जांजगीर-चांपा। दिलचस्प बात यह है कि एक निजी कंपनी इसकी खेती करा रहा है और केवल मादा बीज को ही खरीदकर इसका प्रचार प्रसार करने मुनाफा कमाने की सोच रही है। आने वाले दिनों में इसकी डिमांड बढ़ी तो किसान मालामाल हो जाएंगे।
बम्हनीडीह-बलौदा ब्लाक में इन दिनों 'नर-मादाÓ धान की खेती किसानों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। सबसे पहले इस धान की बोनी कतार पद्धति से की जाती है। क्यों कि इस धान की बोनी के बाद 'क्रॉस पॉलीनेशनÓ कराया जाता है। जिसे परागण की प्रक्रिया कहते हैं। इस प्रक्रिया को देखकर लोग हैरत में पड़ जाते हैं। क्योंकि अमूमन हम आज तक कीटपतंगों, जानवरों में क्रॉस की प्रक्रिया को देखे व सुने हैं। धान के पौधों में मनुष्यों द्वारा परागण की प्रक्रिया को पहली बार देखा है। नरमादा ऐसा धान है जिसे हर धान के पौधों में फूल आने के बाद हर रोज 'क्रॉस पॉलीनेशनÓ यानी परागण कराते हैं। यह प्रक्रिया लगातार १५ दिनों तक कराई जाती है।
ऐसे कराते हैं 'क्रॉस पॉलीनेशनÓ
दो किसान रस्सी लेकर एक छोर से दूसरे छोर में खड़े होते हैं फिर उसी रस्सी के माध्यम से खेत के बीच दौड़ लगाकर धान की बालियों का 'क्रॉस पॉलीनेशनÓ कराते हैं। यानी नर धान के फूल से धूल के समान पराग के कण निकलता है जो मादा धान के फूल में चिपककर परागण की प्रक्रिया को पूर्ण करता है। जिन बीज में पराग पहुंचता है वही बीज ग्रोथ करता है। जिसमें पराग नहीं पहुंचता वह बीज पाखड़ यानी बदरा निकल जाता है। अमूमन ८० फीसदी बीज ही सक्सेज होता है। २० फीसदी बीज पनप नहीं पाते।
क्षेत्र में ४० एकड़ में खेती
अफरीद के प्रगतीशील कृषक पुरूषोत्तम राठौर, सोनू राठौर ने बताया कि पहले दो एकड़ में इसकी बोनी की। जिससे उसे लाखों की आमदनी हुई। अब इस साल वह तकरीबन १० एकड़ में इस धान की बोनी की है। इतना ही नहीं अफरीद के शोभा केंवट, बाबूराम साहू, कमरीद के बुधराम कश्यप, फूलचंद पटेल सहित अन्य किसानों ने इस धान की ४० एकड़ में बोनी की है।
मादा बीज की ही बिक्री नर की नहीं
इस धान में खास बात यह है कि एक निजी कंपनी (बायर) इसकी बोनी के लिए किसानों को पे्ररित कर रहा है। क्योंकि कंपनी का उद्देश्य है कि उसके उत्पाद को देश के कोने कोने में फैले। कंपनी की मार्केटिंग टीम इसके मादा बीज को खुद खरीदकर ले जाती है। नर बीज को स्थानीय स्तर पर बिक्री की जाती है।
चावल की कीमत ३०० रुपए किलो चावल
खास बात यह है कि इसके चावल की कीमत ३०० रुपए किलो है। चावल में अच्छी खुशबू इसकी प्रमुख विशेषता है। जिसके चलते बड़े लोग ही इसकी डिमांड करते हैं। हालांकि अभी स्थानीय स्तर पर इस धान के चावल का इस्तेमाल लोग नहीं कर पा रहे हैं, इसकी वजह महंगाई है।

'नर-मादाÓ धान ने किसानों की बदल दी तकदीर
पत्रिका डेली न्यूज़लेटर
अपने इनबॉक्स में दिन की सबसे महत्वपूर्ण समाचार / पोस्ट प्राप्त करें
अगली खबर
