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किराए के लाइसेंस व बिना फार्मासिस्ट के चला रहे मेडिकल दुकान

locationजांजगीर चंपाPublished: Mar 16, 2023 09:31:58 pm

Submitted by:

Ashish Tiwari

जिले में धड़ल्ले से किराए के लाइसेंस व बिना फार्मासिस्ट के मेडिकल दुकान चल रहा है। इसमें बड़ी बात यह है कि बिना अनुभव वाले ही पूरे समय दुकान संभाल रहे हैं और दवाइयां भी लोगों को दे रहे हैं। जिम्मेदार अभियान चलाकर लगातार कार्रवाई नहीं कर रही है, इससे ऐसे लोगों के हौसले बुलंद हैं और बिना अनुभव वाले मरीज के परिजनों को दूसर दवाई भी दे रहे है।

किराए के लाइसेंस व बिना फार्मासिस्ट के चला रहे मेडिकल दुकान

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ऐसे में इस पर अंकुश नहीं लगाया गया तो भविष्य में कभी भी बड़ी घटना हो सकती है। बिना फार्मासिट के दवाई दुकान चल रहे है, यह ड्रग विभाग का आंकड़ा भी बयां कर रहा है।
जिले सहित शहर में बड़ी संख्या में बिना नियम के मेडिकल दुकानों का संचालन किया जा रहा है। इसमें कई मेडिकल संचालक किराए पर लाइसेंस तो कई मेडिकल स्टोर्स बिना फार्मासिस्ट के धड़ल्ले से चला रहे है। वहीं कई तो इससे भी आगे बढ़कर बिना लाइसेंस के ही दवाई दुकान संचालित कर रहे हैं। ऐसा ग्रामीण क्षेत्र में ज्यादा चल रहा है। यह हम नहीं बल्कि ड्रग विभाग का पिछले साल का व तीन महीने की जांच कर रही है। तीन माह में ही शिकायत पर ड्रग विभाग द्वारा बिना फार्मासिस्ट के २२ दवाई दुकानों पर कार्रवाई की है। इसमें किसी पर २४ घंटे तो किसी पर ४ से ५ दिन सस्पेंड की कार्रवाई की गई है। वहीं एक महालक्ष्मी पेंड्री को तो लाइसेंस ही निरस्त कर दिया गया। जहां फार्मासिस्ट बैठते ही नहीं थे। बिना डिग्री के दवाईयां का सप्लाय कर रहे है जो लोगों के लिए जान पर भी बन सकती है। इसके बाद भी न तो प्रशासन ध्यान दे रहा है और न ही स्वास्थ्य विभाग लगातार अभियान चलाकर कार्रवाई कर रही है। लोगों ने ऐसे दुकान संचालकों पर कार्रवाई करने की मांग की है। जिसके पास फार्मासिस्ट की डिग्री होती है और पूरे २४ घंटे बैठकर दवाई बेचते है, वहीं मेडिकल स्टोर्स चला सकते है। लेकिन जिले में फार्मासिस्ट की डिग्री के आधार पर दूसरे लोग दुकान का संचालन कर रहे हैं। फार्मासिस्ट दूसरे काम में व्यस्त रहते हैं, जिन्हें दुकानों का कोई अनुभव नहीं है, वहीं उनकी दुकानों पर कई कम पढ़े लिखे लड़के दिनभर दुकान में आने जाने वाले लोगों को दवाई दे रहे हैं। ऐसे में कई बार डॉक्टर द्वारा लिखी गई दवाई के जगह पर अन्य दवाई मरीज या उनके परिजनों को दे दी जाती है। इससे उनकी साइड इफेक्ट झेलनी पड़ती है। कम पढ़े लिखे व जल्दीबाजी के चक्कर में कई लोग मिलान भी नहीं करते हैं, इसके कारण उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
२०२२-२३ में लिया गया ४८ सैम्पल, एक निकला अमानक
पिछले साल से लेकर तक ड्रग विभाग द्वारा विभिन्न दवाई दुकानों में जाकर ४८ सैंपल लिया गया। सैंपल लेने के बाद जांच के लिए रायपुर स्थित लैब भेजा गया। जहां से चार का रिपोर्ट आ गया, इसमें तीन मानक तो एक अमानक पाया गया। अमानक को कार्रवाई के लिए कोर्ट भेजा गया। सालभर में मात्र ४८ सैंपल लिया गया, इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि ड्रग विभाग किस तरह काम कर रहा है।
कोरोना के बाद बड़ी संख्या में खुल गए मेडिकल स्टोर्स
कोरोना संक्रमण के बाद जांजगीर व सक्ती जिले में अस्पतालों के साथ मेडिकल दुकान बड़ी संख्या में बढ़ गए हैं। इसके पहले दोनों जिले में बहुत कम मात्र ६६० दुकानें थी। लेकिन अब हर मोहल्ले सहित मुख्य मार्ग पर मेडिकल दुकानों का संचालन हो रहा है। अब इसकी संख्या बढ़कर १००५ हो गई। जिसे बिना प्रशिक्षित लोग संचालित कर रहे हैं। इसके बाद भी विभाग अभियान चलाकर लंबे समय से दुकानों की जांच नहीं की हैं।
वर्जन
मेडिकल का नियमानुसार संचालन नहीं किया जा रहा है तो उसकी जांच की जाएगी। समय-समय पर मेडिकल का निरीक्षण किया जाता है।
प्रीतम ओग्रे, ड्रग इंस्पेक्टर
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