कुछ ऐसा ही हाल जिला अस्पताल के परिसर में देखने को मिला। लगभग 10 किलोमीटर दूर अवरईकला गांव से अपनी टूटी हड्डी को दिखाने आई 21 माह की मासूम अनन्या अपने पिता से एक ही सवाल पूछ रही थी, पापा बहुत दर्द हो रहा है, डॉक्टर कब आएंगे और दवा देंगे दर्द दूर करने की। पापा भी अपनी बेटी को सिर्फ और सिर्फ दिलासा ही दे पा रहे थे।
पत्रिका की टीम ने जब उनका नाम पूछा तो युवक ने अपना नाम शत्रुघन खरे बताया। उसने बताया कि अनन्या उसकी बेटी है और उसके दाहिने कंधे की हड्डी में फ्रैक्चर हो गया है। अनन्या का इलाज जिला अस्पताल में चल रहा है। दो दिन पहले ही वह यहां आया था तो डॉक्टर ने एक्सरे करवाया और कुछ दवा देकर आज आने के लिए बोला था। आज अनन्या को प्लास्टर बांधना था।
शत्रुघन ने बताया कि वह सुबह साढ़े नौ बजे से आकर बैठा है। अस्पताल से जांच पर्ची भी कटवा लिया है। उसकी बेटी को असहनीय पीड़ा है। इससे जितना जल्दी प्लास्टर लगे या अन्य इलाज हो तो ठीक। शत्रुघन का कहना था कि बेटी जब दर्द होने की बात कहकर सवाल पूछती है तो ऐसा लगता है कि यदि उसके जेब में थोड़े भी अधिक पैसे होते तो वह जिला अस्पताल में डॉक्टर का घंटो इंतजार नहीं करता। अपनी बेटी को किसी अच्छे प्राईवेट अस्पताल में दिखवाते।
डॉक्टर की कमी बड़ी परेशानी
जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. पीसी जैन का कहना है कि अस्पताल में कुछ विभाग में डॉक्टरों की कमी है। अस्पताल में दो ही अस्थिरोग विशेषज्ञ हैं। जिसमें एक छुट्टी पर है और दूसरे नाइट ड्यूटी के चलते ओपीडी ड्यूटी नहीं कर पाए होंगे। मरीजों को ऐसे थोड़ी परेशानी हो रही होगी, लेकिन उन्हें इलाज देने की पूरी कोशिश की जा रही है।