पांच साल में खुले एक दर्जन से अधिक कोल डिपो, अधिकतर बने परेशानियों का सबब
एक ओर हम अक्सर यह सुनते आ रहे हैं कि देश में कोयले की कमी से बिजली का उत्पादन प्रभावित हो रहा है वहीं दूसरी ओर जिले में हर रोज किराना दुकान की तरह खुल रहे कोल डिपो में कोयले का भंडार है। बीते पांच साल के आंकड़ों पर गौर करें तो एक दर्जन से अधिक नए कोल डिपो खुले हैं।
जांजगीर चंपा
Published: April 26, 2022 08:46:10 pm
जांजगीर-चांपा। इन कोल डिपो में एक नंबर तो कम बल्कि दो नंबर का काला कारोबार अधिक हो रहा है। अमूमन सभी में विवाद सुनने को मिल रहा है। हालांकि विभागीय अधिकारी सभी कोल डिपो एक नंबर में चलने की दंभ भर रहे हैं, लेकिन हर कोल डिपो में किसी न किसी तरह का विवाद है ही।
जिले में कोयला तस्कर बेहद सक्रिय नजर आ रहे हैं। तस्करों की सक्रियता सबसे अधिक जांजगीर-चांपा जिले में है। इसकी प्रमुख वजह पड़ोसी जिले में कोयले का भंडार है। जिसमें एक दिशा में कोरबा तो दूसरे दिशा में रायगढ़ शामिल है। दोनों जिलों में कोयला का भरपूर उत्पादन हो रही है। यहां का कोयला रातों रात जिले में आ रहा है और यहां भंडार हो रहा है। इन कारोबारी में केवल काला कारोबार होने की अधिक शिकायतें हैं।
केस वन
बम्हनीडीह ब्लाक के ग्राम पंचायत हथनेवरा में बिना पंचायत प्रस्ताव के कोयला डंप करने की शिकायतें मिली थी। इस डंपिंग यार्ड में हर रात दर्जनों टे्रलर कोयला डंप किए जाने की शिकायत मिली थी। जिसकी शिकायत के बाद खनिज विभाग के अधिकारियों ने जांच की और शिकायत सही पाए जाने पर कोल डिपो संचालक को कलेक्टोरेट तलब किया था। ग्राम पंचायत के सरपंच ने इसके लिए आज तक एनओसी नहीं दी बावजूद कोल डिपो आबाद है। आखिरकार बाद में मामला शांत हो गया।
केस टू
कोसा कांसा कंचन की नगरी चांपा के बिर्रा रेलवे फाटक के पास एक कोल डिपो संचालित है। जहां पर सड़क से लगे रेलवे ओवरब्रिज के नीचे ही कोयले से लगी सैकड़ों की तादात में ट्रकें लोगों के आवागमन को प्रभावित कर रहा है। इतना ही नहीं कोयले से निकलने वाले काले डस्ट से आसपास के लोगों का जीना ***** हो चुका है। यहां के लोगों ने कोयले के डस्ट से पर्यावरण को नुकसान की कई बार शिकायत कर चुके लेकिन आज तक इन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
केस थ्री
कोरबा रोड चांपा के अमझर पावर प्लांट के पास हाल ही में भी एक नया कोल डिपो खुला है। लोगों का आरोप है कि यह कोल डिपो विवादित भूमि में खुला है। लोगों ने इसकी शिकायत की थी। शिकायत में कहा गया था कि यह कोल डिपो शासकीय भूमि में है। खनिज विभाग के अधिकारियों ने इसकी जांच की और कोल डिपो को क्लीन चिट दे दिया है। क्योंकि इस कोल डिपो में राजस्व अधिकारियों ने भी एनओसी दे दिया है।
केस फोर
जिला मुख्यालय से सटे नैला रेलवे फाटक में दो दो कोल डिपो संचालित है। जिसमें आसपास के लोग काले डस्ट से परेशान हैं। सामने से यदि एक बाइक भी निकल जाए तो यहां से गुजरना नर्क के समान महसूस होता है। इस कोल डिपो ने भी लोगों का जीना ***** कर दिया है। दूसरी बड़ी समस्या कोल डिपो से कोयला डुलाई के लिए लगे भारी वाहन छोटे वाहन चालक को काल के गाल में समा रहे हैं यह बड़ी समस्या है।
सक्ती के मसनिया क्षेत्र में दर्जनों अवैध कोल डिपो आबाद
जिले के सक्ती बाराद्वार क्षेत्र में दर्जनों अवैध कोल डिपो आबाद है। पांच छह साल पहले तत्कालीन कलेक्टर एसपी ने ऐसे कोल डिपो पर कड़ी कार्रवाई की थी। चार दिन मामला गर्माया था। बाद में काला कारोबार को सफेद कर लिया गया। सूत्रों का कहना है कि आज भी इन इलाकों में सैकड़ों कोल डिपो अवैध रूप से चल रहे हैं। जिसकी भनक प्रशासन को है लेकिन सबका साथ सबका विकास के जुमलेबाजी में कोल डिपो आबाद हैं।
वर्जन
जिले में १८ कोल डिपो संचालित है। सभी कोल डिपो एक नंबर में चल रहे हैं। कहीं कोई विवाद नहीं है। जहां शिकायत मिलेगी वहां कार्रवाई करेंगे।
-आरके सोनी, प्रभारी जिला खनिज अधिकारी

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