वर्ष 2016 के बाद शस्त्र के लिए लाइसेंस लेने के लिए शस्त्र प्रेमियों को कलेक्टोरेट व एसपी दफ्तर के चक्कर काटना पड़ रहा है। शासन के नए पेंच की वजह से उनके हथियार का लाइसेंस नहीं बन पा रहा है। क्योंकि शासन ने नए नियम के तहत लाइसेंस के लिए दो नए बड़े नियम बनाए हैं। जिसके तहत शस्त्रधारियों को शासन से मान्यता प्राप्त संस्थान से ट्रेनिंग लेनी होगी। वहीं मेडिकल बोर्ड के द्वारा निर्मित शारीरिक फिटनेश प्रमाण पत्र देना पड़ेगा। इतना ही नहीं अन्य दस बिंदुओं में प्रमाण पत्र देना पड़ेगा। इसके बाद ही आपका लाइसेंस बन सकता है। जबकि विभागीय अधिकारियों का कहना है कि समूचे छत्तीसगढ़ में शस्त्रधारियों को ट्रेनिंग सेंटर बना ही नहीं है। ऐसी स्थिति में शस्त्र प्रेमियों को प्रशिक्षित कौन करेगा और जब तक लोग प्रशिक्षित होंगे नहीं तब तक उन्हें लाइसेंस मिलेगा नहीं। ऐसे में कलेक्टोरेट में सारे आवेदन धूल फांक रही है।
जिले में औसत से अधिक शस्त्रधारी
बताया जा रहा है कि जिले में औषत से अधिक शस्त्रधारी हैं। जानकारी के अनुसार पांच हजार की आबादी में एक शस्त्र के लिए लाइसेंस देने का प्रावधान है। यदि जिले की आबादी 40 लाख भी हो तो अधिकतम 400 शस्त्र होने चाहिए, लेकिन इस जिले में आलरेडी पहले से 486 शस्त्र के लिए लाइसेंस जारी हो चुका है। जो औषत से 86 अधिक है। यही वजह है कि जिले के जिम्मेदार अधिकारी नए शस्त्र के लाइसेंस जारी करने के लिए रुचि नहीं ले रहे हैं। यह लाइसेंस दो साल पहले के जारी हुए हैं। दो सालों से एक भी नए शस्त्र के लिए लाइसेंस जारी नहीं किया गया है।
सर्वाधिक शस्त्रधारी जांजगीर में
जिले में सबसे अधिक शस्त्रधारी जांजगीर थाना क्षेत्र में है। कोतवाली क्षेत्र के शहर समेत तकरीबन 40 गांवों में 87 शस्त्रधारी हैं। जिसमें तकरीबन एक दर्जन शस्त्र बैंक व अन्य शासकीय संस्थानों के हैं। इसी तरह दूसरे क्रम में मुलमुला व पामगढ़ थाना क्षेत्र में 54-54 शस्त्रधारी हैं।