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इतने हजार मिडिल व हाई स्कूलों में फर्नीचर नहीं, छात्रों को फिर जमीन पर बैठकर लेनी होगी तालीम

locationजांजगीर चंपाPublished: Jun 24, 2018 05:55:56 pm

Submitted by:

Shiv Singh

-स्कूलों में सबसे खराब स्थिति फर्नीचर की है। जिले के 50 फीसदी स्कूलों में फर्नीचर नहीं है।

इतने हजार मिडिल व हाई स्कूलों में फर्नीचर नहीं, छात्रों को फिर जमीन पर बैठकर लेनी होगी तालीम

इतने हजार मिडिल व हाई स्कूलों में फर्नीचर नहीं, छात्रों को फिर जमीन पर बैठकर लेनी होगी तालीम

जांजगीर-चांपा. शिक्षा सत्र की शुरुआत हो चुकी है पर अब तक जिले के 50 फीसदी स्कूलों में फर्नीचर की व्यवस्था नहीं है। एक हजार मिडिल व हाई स्कूल के छात्रों को इस साल फिर जमीन पर बैठकर तालीम लेना पड़ेगा। सबसे बदतर स्थिति आरएसएमए स्कूलों की है। इन स्कूलों के बच्चों को बिजली, पानी सहित हर तरह की सुविधाओं के लाले होना पड़ रहा।
स्कूल शिक्षा विभाग के सारे तामझाम के बाद भी 50 फीसदी स्कूलों में फर्नीचर की व्यवस्था नहीं है। सुविधाविहीन स्कूलों में हजारों छात्र स्कूल जाना शुरू कर दिए हैंए लेकिन स्कूलों में अब तक फर्नीचर की व्यवस्था नहीं हो पाई है। शिक्षा को बढ़ावा देने प्रशासन दिन ब दिन सजग होते दिखाई दे रही है, लेकिन मैदानी स्तर में व्यवस्था वास्तविकता से जुदा है। स्कूलों में सबसे खराब स्थिति फर्नीचर की है। जिले के 50 फीसदी स्कूलों में फर्नीचर नहीं है। शिक्षा विभाग से मिले आंकड़े के मुताबिक 798 मिडिल स्कूलों में केवल 405 मिडिल स्कूलों में फर्नीचर की सप्लाई हो पाई है। बाकी स्कूलों में फर्नीचर की व्यवस्था नहीं है।
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बच्चे जमीन पर बैठकर तालीम लेने मजबूर हैं। इसके अलावा सबसे खराब स्थिति आरएसएमए के स्कूलों की है। जिले के 108 आरएमएसए के लगभग 50 हाई स्कूलों में फर्नीचर की व्यवस्था नहीं है। हाईस्कूल के बड़े.बड़े छात्र छात्राएं जमीन पर बैठकर तालीम ले रहे हैं। जमीन भी उखड़े हुए हैं। जहां बैठने में उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। बच्चों के कपड़े एक दिन में ही खराब हो रहा है। जमीन में बैठने से बारिश के दिनों में कीड़े मकोड़े का भी डर सताते रहता है।

105 स्कूलों में नहीं पेयजल
जिले के 25 फीसदी स्कूलों में छात्रों के लिए पीने का पानी नहीं है। छात्र आसपास के घरों व तालाब पोखरों से पीने का पानी लाते हैं। दुख की बात यह है कि ऐसे ही पानी से मध्यान्ह भोजन तैयार किया जाता है। जिले के 105 प्राइमरी व मिडिल स्कूलों में पीने के लिए पानी नहीं है। जिन स्कूलों में हैंडपंप हैं वह भी बिगड़ा पड़ा है। कई हैंडपंप ऐसे हैं जहां से गंदा पानी आ रहा। इससे छात्रों को ऐसे हैंडपंप का लाभ नहीं मिल पा रहा।

163 स्कूलों में नहीं अहाता
जिले के 163 मिडिल व हाई स्कूलों में अहाता की सुविधा नहीं है। जबकि सरकार ने इसके लिए फंड अलॉट कर दिया है। फंड स्वीकृत होने के बाद भी जिम्मेदार अहाता का निर्माण नहीं करा पा रहे हैं। स्कूलों में अहाता नहीं होने से छात्रों को खेल-कूद के लिए स्वतंत्र वातावरण नहीं मिल पा रहा। स्कूलों में अहाता नहीं होने से मवेशियों का डेरा रहता है। बड़े स्कूलों में अहाता नहीं होने से खासकर छात्राओं को खेलने कूदने एवं अन्य कार्यों में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

-जिन स्कूलों में मूलभूत सुविधा नहीं है उन स्कूलों की जानकारी राज्य शासन को भेज दी गई है। राज्य शासन से बजट मिलने के बाद उन स्कूलों में सुविधा बढ़ाई जाएगी- -जीपी भास्कर, डीईओ
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