हे भगवान... अटैच के दो स्टॉफ नर्सेस बदौलत संचालित हो रहा जीएनएम प्रशिक्षण केंद्र
जांजगीर चंपाPublished: May 26, 2023 09:13:17 pm
शासकीय जीएनएम (जनरल नर्सिंग एंड मिडवाईफरी) प्रशिक्षण केंद्र भगवान भरोसे संचालित हो रहा है। नाम के लिए दो स्टॉफ नर्सेस को अटैच किया गया है जिनकी बदौलत यहांके ५६ प्रशिक्षणार्थियों को जैसे तैसे प्रशिक्षण दिया जा रहा है। वहीं हॉस्टल की इन छात्राओं की देखभाल भी इन्हीं दो स्टॉफ नर्सेस के बदौलत संचालित हो रहा है। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां की पढ़ाई कैसे होगी।


हे भगवान... अटैच के दो स्टॉफ नर्सेस बदौलत संचालित हो रहा जीएनएम प्रशिक्षण केंद्र
जांजगीर-चांपा। जिला मुख्यालय का जीएनएम प्रशिक्षण केंद्र मुन्ना भाई प्रशिक्षकों के बदौलत संचालित हो रहा है। पांच छह साल पहले यहां जीएनएम प्रशिक्षण केंद्र में पहले भी गिनती के स्टॉफ थे। लेकिन प्राचार्य रेग्युलर होने से वह जैसे तैसे ३० अप्रैल तक प्रशिक्षण केंद्र का संचालन भलिभांति की। प्राचार्य के रिटायर होने के बाद आज २६ दिन बाद भी यहां एक भी रेग्युलर टै्रनरों की पोस्टिंग इस संस्थान में नहीं हुई। ऐसे में दो स्टॉफ नर्सेस को संस्थान को चलाना मुश्किलों भरा काम हो चुका है। जिन दो स्टॉफ नर्सेस की यहां पदस्थापना हुई हैं वह भी अटैचमेंट में है। एक स्टॉफ नर्सेस कापन से यहां अटैच हुई है। तो वहीं दूसरा नैला की स्टॉफ है। बड़ी बात यह है कि इन दोनों स्टॉफ नर्सेस के अटैच होने से उनके मूल स्थान के काम काज भी प्रभावित हो रहा है। लेकिन प्रशासन है, इस गंभीर समस्या से रूबरू नहीं हो पाई है। जिसके चलते छात्रों का भविष्य अंधकार मय होते दिखाई पड़ रहा है।
हॉस्टल में वार्डन नहीं
यहां प्रशिक्षणरत ५६ छात्राओं के लिए आलीशान छात्रावास का भी निर्माण किया गया है लेकिन उनकी देखरेख के लिए वार्डन की भी व्यवस्था नहीं है। ऐसे में यहां अटैच दोनों स्टॉफ नर्सेस को वार्डन की देखभाल भी करनी होती है। यानी यहां के स्टॉफ नर्सेस लगातार २४ घंटे काम करने मजबूर हैं। कायदे के मुताबिक यहां भी चार वार्डन की पोस्टिंग होनी चाहिए, लेकिन हो रहा है। जिसके चलते यहां की सारी व्यवस्थाएं जैसे तैसे हो रही है।
दो विभागों के फेर में उलझा संस्थान
शासकीय जीएनएम प्रशिक्षण केंद्र दो विभागों के फेर में अपपी सुविधा व संसाधनों में बढ़ोतरी नहीं कर पा रहा है। पहले यह विभाग डीएमई (डायरेक्ट्रेट ऑफ मेडिकल एजुकेशन)के अंतर्गत आता था। इसके बाद इस संस्थान को डीएचएस (डायरेक्ट्रेट ऑफ हेल्थ सर्विसेस) के अंतर्गत कर दिया गया है। यह संस्थान आए दिन फुटबॉल की तरह इस्तेमाल होते आ रहा है। जिसके चलते दोनों ही विभाग इस संस्थान में सुविधा संसाधनों का इजाफा नहीं कर पा रहा है। ऐसे में इस संस्थान में अध्ययनरत छात्राओं को हर तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
यहां की पूर्णकालिक प्राचार्य का स्थानांतरण ३० अप्रैल को हुआ है। इसके बाद मैं यहां प्रभार में काम कर रही हूं। केवल स्टॉफ के बदौलत प्रशिक्षण दिया जा रहा है। स्टॉफ की बेहद कमी है। फिर भी हम २४ घंटे काम कर रहे हैं।
- सावित्री साहू, प्रभारी प्राचार्य, शा. जीएनएम प्रशिक्षण संस्थान