जांजगीर-चांपा जिले के मालखरौदा ब्लॉक के ग्राम पिहरीद में बोरवेल में गिरे 9 वर्षीय राहुल साहू को निकालने के लिए प्रशासन ने पूरी ताकत झोंक दी है। रविवार की रात तक पूरा 65 फीट खुदाई का काम तो पूरा हो गया था। इसके बाद सोमवार की सुबह से राहुल तक पहुंचने के लिए एनडीआरएफ के जवानों ने सुरंग की खुदाई शुरू की।
खुदाई शुरू करते हुए ही पता चला कि वहां पर विशाल चट्टान है। पत्थर की वजह से मशीन असफल साबित हुई है, क्योंकि यहां ज्यादा बड़ी मशीन उपयोग ही नहीं की जा सकती है। बीच में ड्रील से काम किया गया। राहुल ने सुबह 5 बजे 2 केला खाया और फ्रूटी दिया गया था। कलेक्टर जितेन्द्र शुक्ला सुबह 7 बजे से राहुल को निकालने की रणनीति पर लगातार चर्चा व सलाह एनडीआरएफ, सेना व एसईसीएल के अधिकारियों से लेते रहे।
इसके बाद सुरंग खोदने के लिए बिलासपुर से बड़ी हैंड ड्रिलिंग मशीन भी लाई गई, ताकि इसका उपयोग किया जा सके। बड़ा चट्टान आने की वजह से हैंड ड्रिलिंग मशीन से चटï्टान को तोड़ा व काटा जा रहा है। आसपास कंपन की संभावना बढ़ जाएगी, इसलिए राहुल के लिए खतरनाक बन सकता है, इसलिए सूझबूझ और एक्सपर्ट के बीच चर्चा करके ही कोई फैसला लिया गया।
दोपहर 3 बजे ड्रिलिंग मशीन द्वारा सुरंग वाले स्थान पर Hole करना जारी रहा, स्मोक फिल्टर भी लगाए गए, ताकि भारी मात्रा में निकल रहे डस्ट को कंट्रोल किया जा सके। दोपहर के 3.30 बजे तक बोरवेल के लगभग 1 मीटर की दूरी ही बची थी, मशीन से खुदाई के कारण कंपन होने लगा। इसके बाद फिर से हाथ पत्थर को तोडऩे का काम किया गया।

मुख्यमंत्री ने ग्रीन कॉरिडोर बनाने के दिए निर्देश
इधर राहुल की पल-पल की जानकारी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (CM Bhupesh Baghel) ले रहे हैं। पता चला है कि राहुल के गले तक पानी पहुंच गया है। इसलिए राहुल के बाहर निकलते ही तत्काल अपोलो अस्पताल ले जाने के साथ ही कलेक्टर व एसपी को जांजगीर से लेकर बिलासपुर तक ग्रीन कॉरिडोर बनाने के निर्देश दिए गए है। ग्रीन कॉरिडोर में जहां से जहां जाना होगा, वहां का रास्ता एकदम क्लीयर होना चाहिए। ताकि रास्ते में एक मवेशी तक न फटक सके।
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दोपहर करीब 2 बजे बोरवेल में पानी का लेबल बढ़ रहा था, राहुल के गले तक पानी पहुंच गया था। इसके बाद कलेक्टर के निर्देश पर पिहरीद में पानी के स्तर को कम करने की प्रक्रिया जारी रखी गई।
बच्चे के पास पानी का लेबल कंट्रोल करने के लिए गांव के बोर को भी चलवाया गया। पास के ही दो स्टापडेम से भी गेट खोलकर पानी को छोड़ा गया, ताकि पानी का स्तर कम हो। हालांकि बाद में बोरवेल में पानी का स्तर कम हो गया।