कोर्स पूरा करने का चल रहा ठेका
निजी स्कूल संचालक हाई एवं हायर सेकंडरी के विषयों का कोर्स पूरा करने के लिए शिक्षाकर्मियों को एकमुस्त ठेका दे रहे हैं। शिक्षाकर्मियों को इस काम के एवज में तीन से चार हजार रुपए दिया जा रहा है। शिक्षक कोर्स चार महीने में पूरा कराये या छह महीने में। कोर्स पूरा करने तक उनको स्कूल में नियुक्त किया जाता है। अधिकांश शिक्षाकर्मी दो से तीन घंटे के भीतर कई स्कूलों में घूम-घूमकर अपने विषय की पढ़ाई कराते हंै। इसके बाद वह अपने मूल शाला की ओर रुख करता है। इस तरह के कारोबार में बीईओ व डीईओ बेखबर हैं।
निजी स्कूल संचालक इसलिए लेते हैं ठेके पर
निजी स्कूल संचालक कम रुपए में शिक्षक खोजते हैं। एक पोस्ट ग्रेजुएट निजी शिक्षक कम से कम १० हजार रुपए की मांग करता है। जबकि इसी दस हजार रुपए में उसे तीन ठेके के शिक्षक मिल जाते हैं। इसके चलते उनके स्कूलों का कोर्स भी पूरा हो जाता है। यही वजह है कि निजी स्कूलों के लिए शिक्षक नहीं मिल पाते। रही बात छात्रों की तो वे ट्यूशन कर अपना कोर्स जैसे-तैसे पूरा कर लेते हैं। वहीं दोनों पाटों में अभिभावकों की जेब ढीली होती है। उसे निजी स्कूलों की मोटी फीस जमा करनी होती है। उपर से छात्र के ट्यूशन के पीछे हर माह पांच सौ से एक हजार रुपए जमा करना पड़ता है।