scriptPoor hostel to be renovated at a cost of four crores | चार करोड़ की लागत से संवरेंगे बदहाल छात्रावास | Patrika News

चार करोड़ की लागत से संवरेंगे बदहाल छात्रावास

locationजांजगीर चंपाPublished: Nov 08, 2022 08:35:29 pm

जिले के छात्रावासों की स्थिति काफी जर्जर हो चुकी है। जिसे डीएमएफ की राशि से संवारने का काम शुरू किया जा रहा है। फिलहाल इन भवनों को संवारने के लिए तकरीबन ४ करोड़ का टेंडर जारी हुआ है। आने वाले दिनों में इन छात्रावासों की स्थिति सुधर जाएगी। जिससे छात्रों को सहूलियत होगी।

चार करोड़ की लागत से संवरेंगे बदहाल छात्रावास
चार करोड़ की लागत से संवरेंगे बदहाल छात्रावास
जांजगीर-चांपा। गौरतलब है कि जिले के दर्जनों छात्रावासों की स्थिति काफी दयनीय हो चुकी है। जिसकी मरम्मत की दरकार थी। कलेक्टर के निर्देशन में इन बदहाल छात्रावासों की मरम्मत होना है। इसके लिए विधिवत टेंडर सहित सभी प्रक्रियाएं पूरी हो चुकी है। टेंडर प्रक्रिया में जिले सहित अन्य जिले के १५ ठेकेदारों ने आवेदन जमा किया था। जिसमें ७ लोगों को टेंडर मिला है। टेंडर सहित अन्य प्रक्रिया में किसी तरह की अनियमितता नहीं बरती गई है। आने वाले दिनों में इन छात्रावासों की मरम्मत होना है। साथ ही भवनों में रंगाई पुताई का कार्य भी किया जाना है। ताकि छात्रों को किसी तरह की परेशानियों का सामना न करना पड़े। हाल ही में इस मामले में भाजयुमो के नेताओं ने इस कार्य का विरोध करते हुए टेंडर में अनियमितता की शिकायत की थी। जिसे सहायक आयुक्त आदिवासी विभाग ने हर काम में पारदर्शिता लाने की बात कही है। क्योंकि हर काम कलेक्टर के निर्देशन में होना है।
काफी जर्जर स्थिति में थे छात्रावास
जिले में तकरीबन १०० से अधिक जर्जर छात्रावास हैं। जिसमें से दो दर्जन छात्रावासों की स्थिति काफी दयनीय हो चुकी है। जिसकी मरम्मत के लिए छात्रावास अधीक्षकों ने सहायक आयुक्त आदिवासी विभाग से मांग की थी कि भवनों की मरम्मत हर हाल में होनी चाहिए। जिसे गंभीरता से लेते हुए कलेक्टर ने इसके लिए आवश्यक पहल की और डीएमएफ मद से मरम्मत के निर्देश दिए थे। आने वाले दिनों में इन छात्रावासों की मरम्मत होना शुरू हो जाएगा।

जिले के अधिकतर छात्रावास जर्जर स्थिति में है। इन भवनों की मरम्मत भी किया जाना है। इसके लिए टेंडर सहित अन्य प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। आने वाले दिनों में भवन की मरम्मत होगी। साथ ही रंग रोगन भी किया जाएगा।
- एचके सिंह उईके, सहायक आयुक्त आदिवाली
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