हर साल की तरह पूरी तैयारियों की प्रशासनिक दावे के बीच सरकार द्वारा समर्थन मूल्य पर धान खरीदी का महत्वपूर्ण कार्य बुधवार 15 नवंबर से प्रारंभ हो जाएगा। जमीनी हकीकत ठीक इसके विपरित है। कई समितियों में तो धान रखने की जगह का ही निर्धारण नहीं हुआ है, तो कहीं जगह की साफ-सफाई नहीं हुई है।
बीच में त्योहार के साथ धान कटाई के कारण प्रभारियों को मजदूरों की समस्या सामने आ रही है। इस वर्ष धान खरीदी को लेकर शासन स्तर से कई नियम बनाए गए हैं, जिसका भी किसान विरोध कर रहे हैं।
वहीं समितियों में व्यवस्था बनाने के नाम पर मिलने वाले फंड को बैंक प्रबंधन व प्रशासन द्वारा काट लिए जाने की शिकायत के साथ समिति संचालकों ने इस बार कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर व्यवस्था बनाने सहयोग करने की मांग की है। वहीं धान में नमी परखने की यंत्र भी समितियों से गायब हैं।
सूत्र बताते हैं कि ज्यादातर समितियों में खरीदी तो की गई है, लेकिन उसका उपयोग किए बिना ही खरीदी कर रहे हैं, जिससे यंत्र रखे-रखे खराब हो गए हैं, जबकि यंत्र के द्वारा धान को परख कर खरीदी करने का प्रावधान है। वहीं नमी मापक यंत्र का हरसाल सत्यापन कराना भी आवश्यक है, लेकिन समिति प्रभारी इसकी आवश्यकता महसूस ही नहीं करते। इससे इस साल भी समितियों में बिना धान की नमी परखे खरीदी की जाएगी।
सूत्रों का यहां तक कहना है कि धान में नमी की आड़ में प्रभारी धान तौल करते समय एक से दो किलो धान किसानों से ज्यादा लेते हैं। दूसरी ओर विभाग के जिम्मेदार इस ओर
ध्यान नहीं दे रहे, जिससे समिति प्रभारियों को भी सरोकार नहीं है। किसानों को बिना वजह नुकसान उठाना पड़ता है।
छह हजार एकड़ बढ़ा रकबा– कृषि प्रधान जिले में लगातार औद्योगिकीकरण के चलते खेतिहर जमीन का रकबा घटने लगा था। इस वर्ष जिले में करीब छह हजार एकड़ का रकबा बढ़ा है। इसके साथ ही विभाग द्वारा खरीदी का लक्ष्य भी बढ़ाया गया है। जिले के 206 खरीदी केंद्रों से 76 लाख क्विंटल धान खरीदने का लक्ष्य रखा गया है।
-121 सहकारी समिति
-206 धान खरीदी केंद्र
-2.60 एकड़ में लगी फसल
-76 लाख क्विंटल खरीदी लक्ष्य
-40 लाख पहुंचा बारदाना
-2 दो करोड़ बारदान का लक्ष्य
-1550 रुपए समर्थन मूल्य मोटा धान
-1590 रुपए समर्थन मूल्य पतला धान