सिस्टम में पेच: सर्वे सूची में नाम नहीं तो दिव्यांग होने पर भी पेंशन नहीं
ग्राम सोंठी (चांपा) की रहने वाली सरिता जलतारे। ये दोनों पैरों से दिव्यांग है। चल नहीं सकती, जमीन पर घिसीटकर चलती हैं, बावजूद आज तक सरिता को शासन की ओर से हर माह दी जाने वाली पेंशन नहीं मिल पा रही है।
जांजगीर चंपा
Published: April 18, 2022 09:22:21 pm
जांजगीर-चांपा. वजह, २००२ के सर्वे में सूची उसके व परिवार के किसी सदस्य का नाम नहीं है। क्योंकि जिस समय सर्वे हुआ उस समय पूरा परिवार कमाने-खाने परदेस गया हुआ था। जिससे सर्वे सूची में नाम छूट गया। इसीलिए ८० फीसदी तक दिव्यांग होने के बावजूद सरिता अपात्र है। लेकिन ये बेबसी किसी एक दिव्यांग की नहीं है बल्कि सरिता जैसे और भी कई दिव्यांग हैं जिसे केवल इसीलिए दिव्यांग पेंशन नहीं मिल पा रहा क्योंकि २००२ की सर्वे सूची में नाम नहीं है। क्योंकि सरकारी नियम ही ऐसा है। नि:शक्तजन पेंशन पाने के लिए शहरी क्षेत्र में २००७ की और ग्रामीण क्षेत्र में २००२ की गरीबी रेखा सर्वे सूची में नाम होना अनिवार्य है। नाम नहीं होने की दशा में पात्र नहीं माना जाएगा। लेकिन किसी वश जिनका नाम इस सूची में शामिल होना छूट गया है उन्हें शासन की कई योजनाओं से वंचित रहना पड़ रहा है। इसमें से एक नि:शक्तजन पेंशन योजना भी है। दो योजनाएं चल रही है। एक में हर माह ५०० व दूसरे में ३५० रुपए पेंशन मिलता है।
दिव्यांग होने के बाद भी दफ्तरों के ठोकरें खाने की मजबूरी
सोमवार को अपनी बुढ़ी मां और छोटे भाई के साथ सरिता जिला पंचायत आई थी। सरिता की मां व भाई ने बताया कि पिछले बुधवार को वे सभी कलेक्टोरेट भी आए थे और पेंशन दिलाने आवेदन दिए थे। जहां से उन्हें कुछ दिनों बाद जिपं जाने की बात कही थी। इसलिए यहां आज आए थे। यहां आने पर दफ्तर में बैठे कर्मचारियों ने इतना ही बताया कि उनका आवेदन कलेक्टोरेट से यहां पहुंच गया है। अब यहां से पंचायत सचिव को बोला जाएगा, वे घर पर जाएंगे और दस्तावेजों का वेरिफिकेशन करेंगे, इसीलिए अब वापस जा रहे हैं। सरिता की मां गेंदबाई के मुताबिक गांव में घर-जमीन भी नहीं है मगर उसे भी पेंशन नहीं मिलता। इसीलिए मां-बेटी दोनों ने पेंशन की गुहार लगाई है।
सर्वे सूची की अनिवार्यता खत्म करने लड़ी जा रही लड़ाई : जिलाध्यक्ष
नि:शक्तजन पेंशन योजना में सर्वे सूची की अनिवार्यता को शिथिल करने कई दिव्यांग संगठनों के द्वारा प्रदेशभर में लड़ाई भी लड़ी जा रही है। क्योंकि इसके चलते कई दिव्यांग पात्र होने के बावजूद अपात्र हो जा रहे हैं। जिले में भी कई संगठन इसके लिए आवाज उठा चुके हैं। जिले के आदर्श दिव्यांग एवं तृतीय ***** संघ के जिलाध्यक्ष अरविंद कुमार ने बताया कि यह शासन स्तर का मामला है इसीलिए प्रदेश स्तर पर इसके लिए कई बार आवाज उठा चुके हैं कि सरकार २००२ व २००७ की सर्वे सूची की अनिवार्यता को शिथिल करें। ज्ञात हो कि विस व कैबेनिट में चर्चा भी हो चुकी है।
वर्जन
विभाग में दिव्यांगों के लिए दो तरह की पेंशन योजना संचालित है। दोनों योजना में पात्रता के लिए वर्ष २०१२ के बाद से शासन ने २००२ और २००७ की सर्वे सूची में हितग्राही या परिवार के सदस्य का नाम होना अनिवार्य किया है। सूची में नाम नहीं होने की स्थिति में पात्र नहीं मान सकते। यह शासन स्तर पर का मामला है।
टीपी भावे, सहायक संचालक समाज कल्याण विभाग

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