कोसा उत्पादन प्रक्षेत्रों में लाखों का 'सुरक्षा घेराÓ चंद माह में ही जमीदोंज
कोसा उत्पादन क्षेत्र में पौधों की सुरक्षा के नाम पर सुरक्षा घेरा (कांटा तार घेराव) निर्माण का काम आंख मूंदकर कराया जा रहा है और घटिया काम होने के बाद भी हैंडओवर लेकर ठेकेदारों को लाखों का भुगतान कर दिया जा रहा है। जबकि जो सुरक्षा घेरा का निर्माण कराया गया है वह चंद दिन भी नहीं टिक पा रहा।
जांजगीर चंपा
Published: July 27, 2022 09:29:56 pm
जांजगीर/सरखों. स्थिति यह है कि तीन से चार महीने में ही सुरक्षा घेरा के नाम पर लगाए गए लोहे-सीमेंट के एंगल जगह-जगह से उखड़ गए हैं और कांटा तार का अता-पता नहीं है। जिससे मवेशी खुलेआम अंदर घुस जा रहे हैं और पौधों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। जिससे शासन का लाखों रुपए केवल बर्बाद नजर आ रहा है।
गौरतलब है कि कोसा उत्पादन के लिए रेशम विभाग के द्वारा जिले के विभिन्न स्थानों में पौधरोपण किया गया है और नए पौधे लगाकर कोसा प्रक्षेत्र में विस्तार किया जा रहा है। यहां सुरक्षा के नाम पर कांटा तार और खंभे लगाकर सुरक्षा घेरा बनाने लाखों रुपए का काम ठेका के माध्यम से कराया जा रहा है। रेशम विभाग के द्वारा निर्माण एजेंसी आरईएस विभाग को बनाया गया है और पूरा काम उन्हें सौंप दिया है। आरईएस के द्वारा ठेकेदारों के माध्यम से यह यह काम कराया जा रहा है जिसमें गुणवत्ता और मानक को पूरी तरह से दरकिनार नजर आ रहा है और ठेकेदारों के द्वारा जैसे पाया गया है वैसे काम कर दिया गया है। मानक का कहीं ध्यान नहीं रखा गया है। बताया जा रहा है कि न तो खंभों को पर्याप्त जमीन पर खुदाई कर गाड़ा गया है और न ही सीमेंट-गिट्टी पर्याप्त मात्रा में डाला गया है। केवल खानापूर्ति हुई है। जिसका नतीजा है कि निर्माण काम तीन से चार महीने भी नहीं टिक पा रहा। लगाए गए लोहे और सीमेंट के खंभे छूने से हिल रहे हैं।
सरखों में सुरक्षा घेरा की हुई दुर्गति
नवागढ़ ब्लॉक के ग्राम पंचायत सरखों के ठूंठी में करीब दो एकड़ का कोसा प्रक्षेत्र हैं। यहां पूरे एरिया को सुरक्षित करने सुरक्षा घेरा का निर्माण कराया गया है। जिसके तहत लोहे के एंगल और कांटा तार लगाया गया है। इस काम को हुए बमुश्किल तीन से चार माह ही पूरे हुए हैं लेकिन स्थिति यह है कि करीब सौ से ज्यादा खंभे गायब हैं। जगह-जगह खंभे उखड़कर जमीन पर गिर गए हैं। कांटा तार जमीन पर पड़े हुए हैं और मवेशी अंदर घुस रहे हैं। कई लोहे के एंगल को काट भी चोर ले गए हैं जिससे लगाए गए पौधों को मवेशी चट कर रहे हैं।
आरईएस विभाग करा रहा काम
बता दें, जिले के मालखरौदा, जैजैपुर, नवागढ़, बलौदा, पामगढ़, सक्ती समेत अन्य ब्लॉकों में भी इसी तरह का काम रेशम विभाग के द्वारा आरईएस के माध्यम से कराया जा रहा है। बताया जा रहा है कि सभी जगहों पर इसी तरह मानकों का ध्यान नहीं रखा गया है। आरईएस के अफसरों के मुताबिक पामगढ़, नवागढ़, बलौदा ब्लॉक में इस काम का ठेका रायपुर के नितेश अग्रवाल को मिला है जिसके द्वारा काम कराया जा रहा है। वहीं मालखरौदा, जैजैपुर ब्लॉक के क्षेत्र का काम किसी दूसरे ठेकेदार को मिला है। बताया जा रहा है कि एक प्रक्षेत्र के लिए छह से सात लाख रुपए का टेंडर हुआ है।
आरईएस ईई का तर्क....चोरी तो होगा ही
इधर इस मामले में आरईएस के कार्यपालन अभियंता के द्वारा बेतुका तर्क दिया जा रहा है कि अगर लोहे के एंगल को चोर काटकर ले जा रहे हैं तो हम क्या कर सकते हैं। हम थोड़े वहां जाकर चौकीदारी करेंगे। सुनसान एरिया है तो चोरी तो होगा ही। अब चोरी करके ले जा रहे हैं हम क्या करें। अधिकारी के इस तर्क से ऐसा लग रहा है कि जैसे यह काम पौधों को बचाने के लिए नहीं बल्कि चोरों को फायदा पहुंचाने के लिए किया गया है।
वर्जन
कोसा उत्पादन प्रक्षेत्र में सुरक्षा घेरा निर्माण का काम आरईएस विभाग कर रहा है। नंदौरकला व चौराबरपाली दो जगहों का ही हैंडओवर लिया गया है। बाकी जगहों के बारे में जानकारी नहीं है। निर्माण कार्य के देखरेख का काम आरईएस विभाग का है।
हेमलाल साहू, जिला रेशम अधिकारी
वर्जन
सभी जगहों पर तय मानकों के अनुसार ही काम कराया गया है। संबंधित क्षेत्र के एसडीओ व सब इंजीनियर के देखरेख में काम हुआ है। हैंडओवर रेशम विभाग को दे दिया गया है। इसके बाद जिम्मेदारी उनकी है। अगर एंगल चोरी हो रहे हैं या गिर रहे हैं हम क्या कर सकते हैं।
नरसिंह सिदार, कार्यपालन अभियंता आरईएस

कोसा उत्पादन प्रक्षेत्रों में लाखों का 'सुरक्षा घेराÓ चंद माह में ही जमीदोंज
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