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जान जोखिम में डाल पढ़ाई करने मजबूर यहां के बच्चे, कभी भी हो सकती है बड़ी दुर्घटना

locationजांजगीर चंपाPublished: Sep 02, 2018 12:46:39 pm

Submitted by:

Shiv Singh

– छत हर जगह से उधड़ी हुई है, दीवारे दरारों से अटी पड़ी हैं

जान जोखिम में डाल पढ़ाई करने मजबूर यहां के बच्चे, कभी भी हो सकती है बड़ी दुर्घटना

जान जोखिम में डाल पढ़ाई करने मजबूर यहां के बच्चे, कभी भी हो सकती है बड़ी दुर्घटना

जांजगीर-चांपा. जैजैपुर विकास खण्ड के ग्राम पंचायत घिवरा के शासकीय हायर सेकेंडरी स्कूल की हालत इतनी जर्जर है कि यहां आने वाले बच्चे अपनी जान जोखिम में डाल कर पढऩे को मजबूर हैं। इतना ही नहीं यहां के शिक्षकों द्वारा कई बार शिकायत करने के बाद भी न तो निर्माण कार्य कराने वाले विभाग और न ही ठेकेदार किसी ने भी इस भवन की मरम्मत करने की सुध नहीं ली है। यहां स्कूल भवन की हालत यह है कि हाथ लगाने मात्र से सीमेंट झडऩे लगती है। छत हर जगह से उधड़ी हुई है। दीवारे दरारों से अटी पड़ी हैं। फर्श उखड़ चुकी है। छत से छड़ व लोहा दिखाई दे रहा है।
स्कूल के स्टॉफ से मिली जानकारी के मुताबिक यह स्कूल कुछ साल पहले ही शासन द्वारा मद स्वीकृति के बाद करोड़ों रुपए की लागत से पीडब्ल्यूडी द्वारा बनवाया गया था। इस भवन का निर्माण ठेकेदार और अधिकारियों की मिलभगत से इतना घटिया स्तर का हुआ है कि कुछ ही साल में जनता के लाखों रुपए बर्बाद हो चुके हैं।
यहां कुछ पहले की स्थिति में देखा जाए तो छात्र-छात्राओं की दर्ज संख्या काफी अच्छी थी, लेकिन स्कूल भवन के खंडहर होते ही अभिभावकों को अपने बच्चों की सुरक्षा का डर सताने लगा और उन लोगों ने बच्चों को स्कूल भेजने से ही मना कर दिया। जो बच्चे पहुंच रहे हैं वह जान जोखिम में पढ़ाई करने को मजबूर हैं।
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जान जोखिम में डाल पढ़ाई करने मजबूर यहां के बच्चे, कभी भी हो सकती है बड़ी दुर्घटना
स्कूल के अध्यापकों से जब इस बारे में बात की गई तो उन्होंने साफ कहा कि इसकी जानकारी क्षेत्र के प्रशासनिक अधिकारियों सहित जिले तक के अधिकारियों को है, लेकिन कोई भी सुध नहीं ले रहा है। स्कूल प्रबंधन द्वारा पिछले कई साल से प्रशासनिक अधिकारियों को इसकी जानकारी लिखित व मौखिक शिकायत के माध्यम से दी जा रही है, लेकिन कोई भी अधिकारी आज तक न तो इस घटिया निर्माण को लेकर जांच किया और न इस भवन की मरम्मत के लिए कोई प्रयास किया जा रहा है।
इससे साफ है कि जिला प्रशासन जो बेटी बचाव बेटी पढ़ाव सहित शिक्षा का अधिकार कानून, मध्यान्ह भोजन, शासकीय स्कूल में पढ़ाई का स्तर सुधारने के नाम पर बड़े-बड़े दावे करता है, अखबारों में अपनी महिमा मंडन करता है वह सिर्फ और सिर्फ कागजी घोड़ा दौड़ाने के आधार पर किया जा रहा है।
जमीनी हकीकत तो कुछ और ही है। यहां के शिक्षकों ने बताया कि विकासखंड शिक्षा अधिकारी को इसकी जानकारी उ्होंने देकर स्कूल के मरम्मत की मांग की तो उन्होंने एक छोटा सा आश्वासन देकर छोड़ दिया। अध्यापकों का कहना है कि उनके कहने पर भी कोई कार्यवाही न होने से प्रशासन की लापरवाही साफ नजर आ रही है वहीं मजबूरी में बच्चे जान जोखिम में डालकर के शिक्षा तालीम करने मजबूर हैं।
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भवन के साथ-साथ शौचालय भी हुआ जर्जर
इस स्कूल भवन के साथ-साथ यहां शौचालय का भी बुरा हाल है। यहां बच्चों के लिए बनया गया शौचालय पूरी तरह से जर्जर हो गया है। हालत यह कि जर्जर हालत में भी बच्चे और स्कूल के स्टॉफ को शौचालय का उपयोग करना पड़ा रहा है। स्कूल के स्टॉफ का कहना है कि स्कूल में बना शौचालय पूरी तरह से खराब हो चुका है। वहां काफी गंदगी रहती है। मजबूरी में स्कूल की छात्राएं और महिला स्टॉफ को इस स्थिति में भी शौचालय का उपयोग करना पड़ रहा है। जबकि वहीं पुरुष स्टॉफ व छात्र बाहर जाते हैं। स्कूल के स्टॉफ भी कई बार आस-पड़ोस के लोगों से उनके घर का शौचालय उपयोग में लाते हैं।

-शाला प्रबंधन समिति के द्वारा लगातार प्रशासन के अधिकारियों को इस बात से अवगत कराया जा चुका हैं। पर अब तक इस पर कोई पहल नही की गई है- बजरंग श्रीवास, प्राचार्य शासकीय हायर सेकेंडरी स्कूल घिवरा

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