केंद्र सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट के समानता के अधिकार के तहत एसटी, एससी अत्याचार निरोधक कानून में दिए गए बिना जांच किए गिरफ्तार करने, अग्रिम जमानत का प्रावधान खत्म करने जैसे संसोधनों को समाप्त कर दिया गया था। इसको लेकर एसटी, एससी वर्ग द्वारा किए गए विरोध प्रदर्शन को देखते हुए केंद्र सरकार द्वारा कानून में व्यापक बदलाव करते हुए फिर से पहले जैसे हालात बना दिए गए। इसके चलते सवर्ण व ओबीसी वर्ग के बीच असुरक्षा की भावना पैदा होने लगी और वे अपने अधिकार के लिए सड़कों पर उतर आए।
इसी के तहत गुरुवार को काला कानून वापस लो नारे के साथ भारत बंद का आह्वान किया गया। बंद के समर्थन में उतरे समाजिक संगठनों द्वारा रैली निकालकर विरोध प्रदर्शन किया गया। इसी कड़ी में नेताजी चौक पर संगठन के पदाधिकारी किशोर सिंह ने बताया कि सवर्ण समाज द्वारा बहुसंख्यक अन्य पिछड़े वर्ग के सदस्यों के साथ मिलकर सभी को समानता का अधिकार के लिए सड़क की लड़ाई लडऩी पड़ रही है। केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए कानून से लोग अनावश्यक बंट रहे हैं। एसटीए एससी वर्ग के साथ हम सब मिलकर काम कर रहे हैं।
एक जगह पर खाना खा रहे हैं, फिर इस तरह के कानून की कोई आवश्यकता नहीं है। इसी तरह अजीत सिंहए सिद्धार्थ तिवारी, बृजेश सिंह, कान्हा तिवारी, यज्ञ कुमार राठौर ने भी कानून के तहत मिले सभी को समानता के अधिकार की रक्षा करने की बात कही। सभी का मानना रहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान होना चाहिए।
स्कूल, कॉलेज भी रहे बंद
सामाजिक संगठनों के बंद को लेकर स्कूल व कॉलेजों में भी विद्यार्थी नहीं पहुुंचे, जिसके चलते वहां भी बंद का महौल रहा। विद्यार्थियों के नहीं पहुंचने से शिक्षक गप्पे हांकते बैठे रहे। वहीं निजी स्कूल संचालकों के लिए बंद कुछ परेशान लेकर आया, जहां बंद के समर्थन में पहुंचे लोगों के आते ही अघोषित छुट्टी कर दी गई।