टेस्टिंग बंद: दो सालों से लैब में पड़े-पड़े कबाड़ हो रही लाखों-करोड़ों की मशीनरी
किसानों की ख्ेाती की मिट्टी जांच के लिए जिला मुख्यालय जांजगीर समेत सभी विकासखंडों में प्रयोगशाला स्थापित किया गया। लाखों-करोड़ों रुपए खर्च कर मशीनरी खरीदी गई। शुरुआत में जोर-शोर से अभियान चलाते हुए हजारों किसानों के खेतों की मिट्टी लेकर जांच भी की गई। किसानों को मृदा परीक्षण कार्ड भी बांटा गया, लेकिन पिछले दो सालों से इन प्रयोगशालाओं में टेस्टिंग को ग्रहण लगा हुआ है।
जांजगीर चंपा
Updated: May 27, 2022 08:47:26 pm
जांजगीर-चांपा. जांजगीर और सक्ती के बड़े लैब को छोड़कर तो बाकी विकासखंडों में खोले गए लैब का बोरिया बिस्तर तक सिमट गया है। वहीं टेस्टिंग बंद होने से जांजगीर के दो बड़े लैब और सक्ती के एक लैब में लाखों-करोड़ों की मशीनें बेकार पड़ी हुई है। काम नहीं होने से यहां पदस्थ अधिकारी-कर्मचारियों को मुफ्त में वेतन मिल रहा है। कृषि विभाग के द्वारा इधर-उधर अटैच कर उनसे काम लिया जा रहा है। इधर मिट्टी का परीक्षण अगर किसान अब कराना चाह रहे हैं तो उन्हें भटकना पड़ रहा है।
मशीनों को शुरु करने में ही लाखों रुपए फूंकेंगे
इधर विभाग के जानकारों का कहना है कि लैब में रखी सारी मशीनरी काफी महंगी है और इसका उपयोग लंबे समय के लिए बंद नहीं होना चाहिए। नहीं तो मशीनों को टेस्टिंग के लायक शुरु करने के लिए पहले मेंटनेंस कराना पड़ेगा तभी मशीनें चलेंगी। अब ऐसे में जिले में मशीनें तो दो साल से ज्यादा समय से बंद पड़ी हुई है। यानी जब कभी भी कृषि विभाग द्वारा इन लैबों को शुरु करना होगा तब शुरुआत में ही लाखों रुपए मेंटनेंस में फूंकना होगा तब जाकर ये मशीनें कभी मिट्टी की सेहत का पता लगा पाएंगी।
सात मिनी लैब का बोरिया-बिस्तर ही उठ गया
बता दें, मिट्टी परीक्षण की शुरुआत भारत सरकार द्वारा की गई थी लेकिन पिछले दो साल से अचानक मिट्टी परीक्षण पर रोक लगा दी गई। इसके बाद से कृषि विभाग को लैब संचालन के लिए भारत सरकार से आवंटन मिलना बंद हो गया है। ऐसे में फंड की कमी के चलते कृषि विभाग के पास भी लैब को बंद करने के अलावा कोई चारा नहीं बचा। शुरुआत में जांजगीर और सक्ती में दो बड़े लैब के अलावा सात ब्लॉक में भी मिनी लैब स्थापित किए गए थे ताकि किसानों को ज्यादा दूरी तय नहीं करनी पड़े। मगर जांच बंद होते ही सभी सात ब्लॉकों के मिनी लैब को बंद कर दिया गया। यहां खरीदे गए मशीनों को अता-पता नहीं है। वहीं जांजगीर में एक लैब होने के बाद दूसरा लैब भी उपसंचालक कृषि परिसर में बना दिया गया है। ऐसे में ही दोनों ही लैब में करोड़ों की मशीनरी कबाड़ होते पड़ी हुई हैं।
मिट्टी की जांच किसानों के लिए जरुरी
बता दें, मिट्टी के १२ तरह के पोषक तत्व होते हैं। लेकिन किसान को इसकी जानकारी नहीं रहती है कि उसके खेत के मिट्टी में किस पोषक तत्व की कमी है। यह जानकारी मिट्टी परीक्षण कराने पर ही पता चलता है। ऐसे में किसान समय रहते उन पोषक तत्वों की कमी को दूर करने उपाय कर सकता है लेकिन जांच नहीं होने से किसान इससे बेखबर हैं। कृषि वैज्ञानिकों की माने तो लगातार मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी होने से जमीन बंजर तक हो जाती है।
वर्जन
भारत सरकार से आवंटन नहीं मिलने की वजह से जिले में मिट्टी परीक्षण नहीं हो पा रहे हैं। मशीनों को सुरक्षित रखने निर्देशित किए गए हैं। वहां के कर्मचारियों से विभाग में काम लिया जा रहा है। जैसे ही आवंटन मिलेगा किसानों को मिट्टी परीक्षण की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।
एमआर तिग्गा, डीडीए

टेस्टिंग बंद: दो सालों से लैब में पड़े-पड़े कबाड़ हो रही लाखों-करोड़ों की मशीनरी
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