दरअसल इस रूट में बड़ी तादात में फल दुकान, मछली बाजार, मोची, सैलून सहित अन्य दुकानें लगती थी। नाली निर्माण के दौरान इन दुकानों को तोड़ दिया गया है। जिससे उनका कारोबार प्रभावित हो रहा है। हद तो तब हो जा रही है जब न तो नाली बन पा रही है और न ही उसके स्लैब को ढंका गया है। जिसके चलते छोटे व्यवसायियों को इन्हीं टूटी फूटी नाली के बीच अपना कारोबार संचालित करना पड़ रहा है।
यहां के सैलून व्यवसायी तो टूटी हुई नाली में ही कुर्सी लगाकर अपना कारोबार कर रहा है। उसने बताया कि जहां चाह वहां राह, यदि काम करना है और उनके पास ग्राहक आने को तैयार हैं तो नाली का कहीं भी उन्हें बिठा दें, पेट चल जाता है। सैलून संचालक का कहना है कि नाली का निर्माण हो जाता तो उसके उपर दुकान लगा सकता था, लेकिन न तो नाली बन रही है और न ही उसका स्लैब। जिसके चलते उसका कारोबार प्रभावित हो रहा है। इसी तरह मछली व्यवसायी कहरा ने बताया कि नाली नहीं थी तब यहां दुकान लगाते थे, लेकिन जबसे नाली बनाने के लिए तोडफ़ोड़ की गई है तब से उन्हें यहां बैठने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
मलबा को भी नहीं हटाया
इस दौरान नाली निर्माण के लिए तोड़े गए मलबे को यहां ही छोड़ दिया गया है। जिसके चलते फुटकर व्यवसायियों को यहां बैठने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि जैसे तैसे रेत गिट्टी के मलबे को हटाकर पेट पालने कारोबार करना पड़ रहा है।