लाख रुपए की जरूरत वह चार दिन में निकाल पा रहा
किसानों का कहना है कि शादियों का सीजन होने और साहूकारों व अन्य बैंको का कर्जा चुकाने के अलावा परिवार के अन्य जरूरी कामों के लिए उन्हें पैसों की जरूरत है। लेकिन बैंक २५ हजार रुपए से ज्यादा नहीं दे रही हैं। यदि किसी किसान को एक लाख रुपए अपने खाते से निकालना है तो उसे चार दिन में २५-२५ हजार रुपए मिल रहे हैं। इससे किसानों को रोजाना ही रुपयों के लिए बैंक के चक्कर काटना पड़ रहे हैं। वहीं जरूरत मुताबिक रुपए खाते से न निकाल पाने से उन्हें परेशान हो ना पड़ रहा हैं।
रोज दो-तीन करोड़ की जरूरत लेकिन ५० से ६० लाख भी नहीं मिल रहे
शहर के सहकारी बैंक शाखा को रोजाना दो-तीन करोड़ रुपए नगदी की जरूरत पड़ती है, लेकिन एसबीआई से बैंक से रोज ५० से ६० रुपए भी नहीं मिल रहे हैं। बैंक अधिकारियों का कहना है कि इसी वजह से वह किसानों को पूरी रकम एक साथ नहीं निकाल पा रहे है और रोजाना ५० से ६० किसानों ही राशि निकाल पाते है। किसानों का कहना है कि कई बार बैंक में नगदी खत्म हो जाने से कई किसानों को खाली हाथ ही वापस लौटना पड़ता है, जबकि उनके खातो में लाखो रुपए जमा है।
दूसरी बैंक के खातों में कर रहे ट्रांसफर
नगदी की कमी और किसानों की समस्या को देखते हुए अब बैंक द्वारा किसानों के दूसरी बैंको के खातो में राशि को एनईएफटी के माध्यम से ट्रांसफर किया जा रहा है। ताकि किसान अन्य बैंको से राशि निकाल सके। समर्थन मूल्य खरीदी के भुगतान का अब तक सहकारी बैंक किसानों को करीब ८० से ९० करोड़ दे चुकी है। इसमें ४० करोड़ रुपए ही नगद दिया जा चुका है और ४०-५० करोड़ किसानों के अन्य बैंको के खातों में ट्रांसफर किए गए है। इससे कि किसानों को अन्य बैंको से नगदी मिल सके।
क्या कहते है किसान
धाराशिव के किसान नरेन्द्र सिंह राठौर ने बताया कि पैसो की जरूरत के चलते सुबह से ही भीड़ ल जाती है और धुप में इंतजार करने के बाद भी २५ हजार रुपए से ज्यादा नहीं मिल रहे हैं। इससे किसानों को अपने ही खातों से पैसे निकालने रोज परेशान होना पड़ रहा है। इसी तरह मुनुंद के किसाना शोभा कश्यप ने बताया कि लाखो रुपए जरूरत वाले किसानों को कई दिन रोज २५-२५ रुपए लेने बैंक आना पड़ रहा है। वहीं जिन किसानों के दूसरी बैंकों में भी खाते है, उनके खाते की राशि को बैंक द्वारा दूसरी बैंक के खातो में ट्रांसफर किया जा रहा है।