scriptThe image of Crocodile Park is getting tarnished day by day, its exist | क्रोकोडायल पार्क की छवि दिन ब दिन हो रही धूमिल, अस्तित्व खतरे में | Patrika News

क्रोकोडायल पार्क की छवि दिन ब दिन हो रही धूमिल, अस्तित्व खतरे में

locationजांजगीर चंपाPublished: Oct 18, 2023 09:43:54 pm

Submitted by:

Ashish Tiwari

एशिया के दूसरे नंबर का सबसे बड़ा क्रोकोडायल पार्क अपनी दुर्दशा पर आंसू बहाने मजबूर है। वन विभाग के अफसरों द्वारा पार्क की लगातार उपेक्षा की जा रही है। यहां लगाए गए मनोरंजन के साधन दिन ब दिन टूट-फूटकर खराब होते जा रहे हैं। सैलानियों से मनोरंजन शुल्क के नाम पर २० रुपए लिया जा रहा, लेकिन यह शुल्क भी सैलानियों के लिए महंगा साबित हो रहा है। विभागीय कर्मचारियों की लापरवाही के चलते पार्क की रौनक दिन-ब-दिन छिनते जा रही है। पर्यटक एक नजर लगाकर फिर बैरंग वापस लौट जा रहे हैं।

क्रोकोडायल पार्क की छवि दिन ब दिन हो रही धूमिल, अस्तित्व खतरे में
park badhal
अकलतरा विकासखण्ड के ग्राम कोटमीसोनार के ९० एकड़ के विशाल तलाब में ३७२ से भी ज्यादा मगरमच्छों की संख्या वाला क्रोकोडायल पार्क एक समय देश में चर्चित था। यहां प्रतिदिन बड़ी संख्या में पर्यटकों का आना होता था। वन विभाग द्वारा प्रति व्यक्ति 20 रुपए टिकट रखा गया है, परन्तु यहां पर्यटकों को सुविधा नहीं के बतौर मिल रही है। तत्कालीन डीएफओ प्रभात मिश्रा द्वारा क्रोकोडायल पार्क में करोड़ो रुपए की लागत से इंटरपिटिशियन सेंटर में थ्रीडी प्रोजेक्टर लगाया गया था। जिसका उद्घाटन तत्कालीन संभागायुक्त सोनमणि बोरा, कलेक्टर ओपी चौधरी द्वारा किया गया था। जो कुछ ही महीनों में खराब हो गया। लाखों रुपए से बनाया गया सेंटर अब इसका कोई उपयोग ही नहीं हो रहा है। ग्रामीणों व पर्यटकों ने इसकी शिकायत भी उच्चाधिकारियों से किया पर आज तक मनोरंजन के साधन चालू नहीं हो पाया है। क्रोकोडायल पार्क में टर्टल पार्क का निर्माण कराया गया है। परंतु इसका भी उद्घाटन नहीं सका। बताया जा रहा है कि इस पार्क के निर्माण में लाखों रुपए की लागत आई है परंतु वाइल्ड लाइफ से पार्क में कछुवा को रखने अनुमति नहीं मिली। बिना अनुमति लिए ही पार्क का निर्माण कराया है। दर्जनों की संख्या में मिले कछुवा को वन विभाग के कर्मचारियों द्वारा गांव के लीलागर नदी में छोड़ा गया। जबकि कछुवा को रखने के लिए ही टर्टल पार्क बनाया गया है। इस पार्क का निर्माण एजेंसी वन विभाग था, लेकिन निर्माण की लागत से संबंधित कोई बोर्ड या सूचना पटल नहीं लगा है। जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि अफसर किस तरह सरकारी राशि का बंदरबाट किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि अब वन विभाग के अफसरों की अनदेखी से क्रोकोडायल पार्क का अस्तित्व खतरे में है।
शौचालय में लटका ताला
पर्यटकों के सुविधा के लिए करोड़ो रुपए खर्च कर कैंटीन का निर्माण कराया गया है, जो अधिकांश दिन बंद रहता है। साथ ही क्रोकोडायल पार्क परिसर में शौचालय निर्माण किया गया है। ताकी पर्यटकों को किसी प्रकार की परेशानी न हो, लेकिन पिछले सालभर से शौचालय में ताला लटका हुआ है। पर्यटकों को इसका लाभ नहीं मिलता है। इसकी कोई सुध लेने वाले नहीं है। जिसके चलते दूरदराज से आए पर्यटकों भटकना पड़ रहा है।
बीस रुपए का टिकट आधे घंटे का नहीं होता मनोरंजन
बाहर से घूमने आए पर्यटकों ने कहा कि वन विभाग द्वारा २० रुपए का टिकट रखा गया है, परंतु यहां पर मगरमच्छ भी कभी कभार दिख गया तो दिख गया नहीं तो वापस जाना पड़ता है। गार्डन में बैठने की सुविधा नहीं के बराबर है, यदि दो चार फैमली आते हैं तो बैठने का जगह नहीं मिल पाता है। साथ ही पर्यटक बाबा सीताराम को ढूंढते है। मगरमच्छ को पानी से निकालने वाले सीताराम सेवानिवृत्त हो चुके है। उनके एक आवाज से मगरमच्छ पानी से बाहर निकल आते है। केयर टेकर के रूप रखने की मांग ग्रामीण व पर्यटक कर चुके हैं।
सीसी टीवी कैमरा बना सो पीस
क्रोकोडायल पार्क में दर्जनों की संख्या में सुरक्षा की दृष्टि से लगाया गया सीसीटीवी कैमरा शो-पीस बनकर रह गया है। कैमरा को रायपुर के ठेकेदार द्वारा लगवाया गया है, जो लगाने के कुछ माह से ही बंद पड़ा हुआ है। ऐसे में सुरक्षा के मानकों का ध्यान नहीं दिया जा रहा है। लोग कभी भी मगरमच्छों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। वहीं पार्क में कई तरह के गलत कार्य को भी बढ़ावा मिल सकता है। क्योंकि पार्क में हर रोज दर्जनों प्रेमी जोड़े भी पहुंचते हैं।
वर्जन
क्राकोडायल पार्क में सुविधाएं बढ़ाई जाएगी। यहां जो भी कमियां है, उसे दूर करने भरपूर प्रयास किया जाएगा। अभी नई ज्वाइनिंग हुई है, इस कारण पार्क के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है।
मनीष कश्यप, डीएफओ
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