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जांजगीर चंपा

तीसरी आंख से शहर की निगरानी का दावा फेल, चौक-चौराहों पर लगाए कैमरे पड़े हैं बंद

मॉनिटरिंग सिस्टम धवस्त : शहर की सुरक्षा को लेकर लापरवाह अफसर

जांजगीर चंपाMar 20, 2019 / 04:18 pm

Shiv Singh

मॉनिटरिंग सिस्टम धवस्त : शहर की सुरक्षा को लेकर लापरवाह अफसर

तीसरी आंख से शहर की निगरानी का दावा फेल, चौक-चौराहों पर लगाए कैमरे पड़े हैं बंद

जांजगीर-चांपा. शहर में सुरक्षा की दृष्टि से लगाए गए सीसीटीवी कैमरे दो महीने से ज्यादा समय से बंद पड़े । तीसरी आंख से निगरानी रखने को लेकर कचहरी चौक, नेताजी चौक समेत अन्य चौक-चौराहों पर सीसीटीवी कैमरा लगवाया गया था। जिसका कंट्रोल रूम यातायात विभाग में बनाया
था जहां से बड़े स्क्रीन में शहर के मुख्य हिस्सों की निगरानी होती थी। मगर विभाग अधिकारियों की लापरवाही से अब शहर महफूज नहीं है।
उल्लेखनीय है कि नेताजी चौक से लेकर कचहरी चौक शहर का सबसे व्यस्ततम इलाका है। इन इलाकों में सुरक्षा को ध्यान में रखकर कैमरे लगवा गए हैं। लेकिन सालभर में कैमरों का हाल खस्ता हो गया। आए दिन खराबी आती रही जिसे सुधार कर काम चलाया जा रहा था मगर वर्तमान में तो पिछले दो-ढाई महीने से सभी कैमरे ही बंद पड़े हैं। जिसके चलते पुलिस को अपराधों को सुलझाने में कोई मदद नही मिल पा रही।

इन नियमों को तोडऩे पर चालान पहुंचता है घर
कई तरह के ऑटोमेटिक फंक्शन है जिसमें नियम तोडऩे वालों के खिलाफ खुद ब खुद कार्रवाई हो जाती थी। जिसमें चालान होकर सीधे उनके घर पहुंचता था मगर यह नियम भी कुछ दिन ही चला, इसके बाद कैमरे ही बंद पडऩे से यह सिस्टम भी ठप पड़ गया है।

वारदात हुआ तक फुटेज तक नहीं मिलेंगे पुलिस को
लगाए गए कैमरों का मुख्य उद्देश्य अपराध को सुलझाने में मदद के लिए था। जिससे कि अपराध करने के बाद आरोपियों के वाहन को ट्रेस करने में पुलिस को मदद मिल सके। इस योजना की शुरुआत जोर-शोर से हुई थी। लेकिन मेंटेनेंस के अभाव में अब यह भी फ्लॉप साबित होने जा रहा है। वर्तमान में अगर कोई वारदात हो जाती है कि पुलिस के पास सुराग के नाम पर कोई फुटेज नहीं होगा।

जिम्मेदार विभाग के अफसर नहीं दे रहे ध्यान
बता दे, इन कैमरों के माध्यम से ट्रैफिक जवान दफ्तर में से भी चौक-चौराहों पर नजर रखते थे। इसके लिए यातायात विभाग के एक कमरे में बड़े टीवी स्क्रीन लगाया गया है और कैमरों के कनेक्शन यहां जुड़े हैं मगर टीवी स्क्रीन भी बंद पड़ी है। दूसरी ओर जिम्मेदार अधिकारी कैमरों को शुरू कराने में बेपरवाह बने हुए हैं। स्थिति तो यह है कि आधे से ज्यादा कैमरे अब खराब हो चुके होंगे।

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