ग्रामीणों का कहना है कि गांव में अपेक्षानुरूप विकास नहीं हो पाया है। ग्रामीणों ने बताया कि गांव को वर्ष 2011 की जनगणना में वीरान गांव घोषित कर दिया गया है। जबकि गांव के लोगों को आवास पट्टा भी दिया गया है। हर चुनाव में ग्रामीणों का भरपूर सहयोग मिलते रहा है। इसके बाद भी गांव को वीरान गांव घोषित करना समझ से परे है। ग्रामीणों का कहना है कि हर चुनाव में नेता वोट मांगने आते हैं उन्हें वोट भी दिया जाता है लेकिन विकास के नाम की किरण यहां तक नहीं पहुंचती। इसके चलते गांव उपेक्षा का शिकार है।
हर रोज पहुंचते हैं अफसरों की टीम
ग्रामीणों ने बताया कि जबसे गांव के लोग पंचायत चुनाव का बहिष्कार करने का अल्टीमेटम दिया है तब से अधिकारियों का दल वहां हर रोज डेरा डाले हुए हैं। ग्रामीणों को अधिकारी मनाने जुटे हुए हैं, लेकिन ग्रामीण मानने को तैयार नहीं है। ग्रामीणों ने बताया कि अधिकारियों का दल यहां हर रोज पहुंचते हैं लेकिन कोई सकारात्मक पहल नहीं किया जा रहा है। ग्रामीणों ने कहा कि गांव के लोगों की मांग पूरी नहीं हुई तो वे पंचायत चुनाव का बहिष्कार करेंगे।