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ये कैसा चमत्कार, तापमान बढऩे के साथ-साथ यहां के डबरी व तालाब हो रहे पानी से लबालब, पढि़ए पूरी खबर…

locationजांजगीर चंपाPublished: Apr 21, 2019 12:41:36 pm

Submitted by:

Vasudev Yadav

– ग्रामीणों में खुशी की लहर

ये कैसा चमत्कार, तापमान बढऩे के साथ-साथ यहां के डबरी व तालाब हो रहे पानी से लबालब, पढि़ए पूरी खबर...

ये कैसा चमत्कार, तापमान बढऩे के साथ-साथ यहां के डबरी व तालाब हो रहे पानी से लबालब, पढि़ए पूरी खबर…

जांजगीर-चांपा. गर्मी के दिनों में तालाबों के साथ पीने के पानी का स्रोत भी सूख जाता है, इसे लेकर गांव के लोग चिंतित रहते हैं, लेकिन इस बार जल संसाधन विभाग ने समस्या के पहले ही समाधान कर ग्रामीणों को खुश कर दिया है। सिंचाई के लिए पानी छोड़ कर ६१३ गांवों के तालाबों को भी निस्तारी के लिए भी दिया गया है। अब डबरी और तालाब लबालब करने के लिए पानी भरा जाएगा। कुओं के साथ नलकूपों का जलस्तर भी बढऩे लगा है। ग्रामीण इस पहल को अग्रिम व्यवस्था का बेहतर परिणाम मान रहे हैं।
जिले के तालाब निस्तारी के लिए लबालब होने लगे हैं। जिला मुख्यालय सहित क्षेत्र के तालाबों के सूखने और निस्तारी के लिए पानी छोडऩे की मांग आने पर जल संसाधन विभाग द्वारा तालाबों को भरने पानी छोड़ा गया है। पहले नहर में पानी का धार कम थी। अब तालाबों में पानी भरने के लिए नहरों का धारा तेज हो गया। हसदेव दायीं तट नहर से 1700 क्यूसेक और बायंी तट नहर से 800 क्यूसेक जल की मात्रा प्रवाहित कर जिले के 613 गांवों के 1391 तालाबों को भरा जा रहा है। उन्होंने बताया कि हसदेव बायीं तट नहर से जनवरी 2019 से ग्रीष्म कालीन और रबी फसल के लिए विकासखण्ड अकलतरा, पामगढ़ एवं नवागढ़ क्षेत्र में जलप्रवाह निरंतर जारी है। उन्होंने बताया कि विकासखण्ड सक्ती के 103 ग्रामों के 198 तालाबों, डभरा के 57 ग्रामों के 87 तालाबों, मालखरौदा के 84 ग्रामों के 135 तालाबों, जैजैपुर के 102 ग्रामों के 197 तालाबों, बम्हनीडीह के 18 गांव के 23 तालाबों, अकलतरा के 56 गांवो के 133 तालाबों, पामगढ़ के 65 ग्रामों के 165 तालाबों नवागढ़ के 113 ग्रामों के 395 तालाबों और विकासखण्ड बलौदा के 15 गांवों के 58 तालाबों को भरने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। गर्मी सीजन में कम मात्रा में पानी छोड़ा जाता है हालांकि इस सीजन में पानी की काफी बर्बादी होती है।
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पानी मिलने से अब फसल पकने की गारंटी
रबी फसल के लिए गांवों को हर साल पानी दिया जाता है। पहले से तय गांवों में ही रबी फसल लगाने की अनुमति मिलती है और अब खेतों में लगे धान की रबी फसल को आखिरी पानी की आवश्यकता पूरी कर दी गई है। किसान मान रहे हैं कि अब फसल पकने की गारंटी हो गई है।

रबी फसल का गणित
रबी फसल में जिले के किसानों को भगवान भरोसे खेती करनी पड़ती है लेकिन इस बार पर्याप्त बिजली और पानी मिलने के कारण संसाधन की उपलब्धता वाले क्षेत्रों में रबी की फसल किसान अपनी मेहनत से उगाने में सफल हुए हैं। 43 सेंटीग्रेट के अधिकतम तापमान में धान की खेती लेने में किसान सफल हो रहे हैं। अब किसान फसल देखकर खुश हैं।

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