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9 हजार घरों में बांटे 18 हजार डस्टबिन मगर गीला और सूखा कचरा एक ही डिब्बे में

locationजांजगीर चंपाPublished: Jun 19, 2019 01:31:04 pm

Submitted by:

Vasudev Yadav

20 लाख रुपए खर्च करने के बाद भी मिशन क्लीन सिटी(Mission Clean City) का सपना नहीं हो सका साकार

20 लाख रुपए खर्च करने के बाद भी मिशन क्लीन सिटी का सपना नहीं हो सका साकार

9 हजार घरों में बांटे 18 हजार डस्टबिन मगर गीला और सूखा कचरा एक ही डिब्बे में

जांजगीर-चांपा. गीला और सूखा कचरा(Wet and dry garbage) को अलग-अलग उठाने की स्कीम जिला मुख्यालय में फेल हो गई है। करीब 20 लाख रुपए खर्च कर 9 हजार घरों में 18 हजार डस्टबिन बांटे गए हैं। हरे और नीले रंग के इस डस्टबिन(Dustbin) में गीला और सूखा कचरा घरों से अलग-अलग निकलना था मगर हकीकत यह है कि 90 प्रतिशत घरों से गीला और सूखा कचरा साथ ही निकल रहा है।
मिशन क्लीन सिटी(Mission Clean City) की जब शुरूआत हुई तो जिला मुख्यालय जांजगीर में करीब 9 हजार घरों में 18 हजार डस्टबिन(Dustbin) बांटे गए थे। गीला और सूखा कचरा को अलग-अलग उठाने की मंशा से एक घर में दो डिस्टबिन दिए गए थे। इसमें एक हरा और दूसरा नीले रंग का था। एक डस्टबिन की कीमत 114 रुपए के करीब थी। इस हिसाब से 18 हजार डस्टबिन के लिए 20 लाख 42 हजार रुपए खर्च किए गए मगर इसके बाद भी मिशन क्लीन सिटी(Mission Clean City) का सपना अब तक साकार नहीं हुआ। क्योंकि डोर डू डोर कचरा कलेक्शन(Door Door Trash Collection) की शुरूआत हुए डेढ़ साल से ज्यादा हो गए मगर आज भी कचरा कलेक्शन करने वाली महिला समूह को गीला और सूखा कचरा एक साथ एक ही डिब्बे में थमा दे रहे हैं या कचरा गाड़ी में डाल देते हैं। इस तरह गीला और सूखा कचरे को अलग-अलग उठाने की तरकीब जिला मुख्यालय में लगभग फेल हो गई है। इसके कारण महिला समूहों को इन कचरों में से खुद ही गीले और सूखे कचरे को अलग-अलग करना पड़ता है।

गीला और सूखा कचरा क्या है, नहीं समझते लोग
गीला और सूखा कचरा अलग-अलग नहीं मिलने की पीछे वजह लोगों में जानकारी का अभाव है। जिस समय घरों में यह डस्टबिन बांटे जा रहे थे तब अधिकारियों ने दावा किया था कि महिला समूह द्वारा डस्टबिन देते समय लोगों को यह भी बताया जा रहा है कि उन्हें एक डस्टबिन में गीला और दूसरे में सूखा कचरा रखना होगा। मगर हकीकत यह है कि आज भी अधिकांश लोगों को यह भी पता नहीं है कि घर से जो कचरा निकल रहा है उसमें कौन सा गीला कचरा है और कौन सा सूखा। दूसरी ओर जानकार लोगों में भी जागरूकता की कमी है। झंझट से बचने एक ही डिब्बे में सब कचरा डाल दे रहे हैं।

जानिए, गीला और सूखा कचरा क्यों उठाना था अलग-अलग
गीला और सूखा कचरा उठाने के पीछे शासन की मंशा कचरे से पालिका की आय बढ़ाने की थी। गीले कचरे को कम्पोस्ट कर जैविक खाद बनाना था। वहीं सूखे कचरे को रिसाइक्लिंग के लिए बेचना था। मगर धरातल में अब इसके लिए महिला समूहों को भारी परेशानी हो रही है और शासन की मंशा पर पानी फिर रहा है। दूसरी ओर गीला और सूखा कचरा को अलग-अलग करने के लिए शहर सरकार आज तक एसएलआरएम सेंटर को भी तैयार नहीं करा पाई।

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