जांजगीर-चांपा जिले के अलग-अलग क्षेत्रों की बात करें तो यहां लगभग 200 से भी अधिक संख्या में झोलाछाप डॉक्टर अपनी मौत की दुकान चला रहे हैं। गैरकानूनी तरीके से दुकान खोलकर बैठे इन लोगों में कुछ ने डिस्टेंस से छोटा-मोटा मेडिकल कोर्स किया है, कुछ ने आयुर्वेदाचार्य की डिग्री ले रखी है तो कुछ वैद्य विसारद की आड़ में अपनी दुकान चला रहे हैं।
केस- 01
युवक का शरीर सड़ा
चांपा के भोजपुर वार्ड 18 निवासी बंशीधर देवांगन इलाज कराने अगस्त 2017 में डॉक्टर धकाते के यहां गया था। डॉ. धकाते ने आयुर्वेदिक डॉक्टर होने के बाद भी देवांगन का एलोपैथिक इलाज किया। इससे उसके जांघ में सडऩ पैदा हो गई, जो कि बढ़ते-बढ़ते उसके गप्तांगों तक पहुंच गई। पीडि़त की पत्नी बृहस्पति देवांगन शिकायत कर आज भी न्याय की गुहार लगा रही है, लेकिन उसकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
केस-2
गलत इंजेक्शन किशोरी की मौत का आरोप
बिर्रा में आयुर्वेदिक डॉक्टर यूके देवांगन अपनी डिस्पेंसरी चलाते हैं। यहां जुलाई 2018 में शालिनी साहू (16) को इलाज के लिए ले जाया गया था। डॉक्टर ने इस किशोरी को ऐसा इंजेक्शन लगाया, जिसको बच्ची का शरीर सह नहीं पाया और उसकी इलाज के दौरान ही मौत हो गई। इस मामले में पुलिस जांच कर रही है, लेकिन आरोपी डॉक्टर आज भी क्लीनिक की जगह अपने घर पर इलाज कर रहा है।
केस-3
बुखार पीडि़त की गलत इलाज से मौत
बम्हनीडीह विकासखंड के सरवानी गांव में झोलाछाप डॉक्टर शंकर साहू अपनी दुकान चलाता है। गत 19 जुलाई को इसके गलत इलाज से बुखार पीडि़त 45 वर्षीय मालिक राम धीवर की मौत हो गई। परिजनों का आरोप है कि डॉक्टर ने गलत इंजेक्शन लगाया, जिससे मौत हुई। इसकी शिकायत के बाद भी बीएमओ और पुलिस ने इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की। बताया जा रहा है कि आरोपी डॉक्टर क्षेत्रीय भाजपा नेता का करीबी है।
-आयुर्वेदिक डॉक्टरों को इंजेक्शन लगाने का अधिकार नहीं है। हमने पिछले साल झोलाछाप डॉक्टरों के क्लीनिक सील कर पुलिस को एफआईआर दर्ज करने के लिए पत्र भेजा था, लेकिन एक भी मामले में शिकायत दर्ज नहीं हुई। इससे ऐसे डॉक्टरों को गलत इलाज करने का बढ़ावा मिल रहा है।
-डॉ. वी जयप्रकाश, सीएमएचओ, जांजगीर-चांपा