script

आखिर मरीज क्यों नहीं ले रहे कम कीमत वाली जेनेरिक दवाइयां, क्या सोचते हैं मरीज पढि़ए खबर…

locationजांजगीर चंपाPublished: Jan 12, 2018 02:03:02 pm

Submitted by:

Vasudev Yadav

मरीज भी डॉक्टरों से ब्रांडेड दवा लिखने को कहते हैं, क्योंकि उनका मानना है कि ब्रांडेड दवा जल्द असर करती है।

आखिर मरीज क्यों नहीं ले रहे कम कीमत वाली जेनेरिक दवाइयां, क्या सोचते हैं मरीज पढि़ए खबर...
जांजगीर-चांपा. केंद्र सरकार मरीजों को कम कीमत में जेनेरिक दवा उपलब्ध कराने के लिए दो साल पहले शासकीय अस्पतालों में जन औषधि केंद्र की सौगात दी थी। नौ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अलावा जिला अस्पताल और चांपा के बीडीएम अस्पताल सहित जिले में 11 जन औषधि केंद्र संचालिक हैं।
जिला अस्पताल का जन औषधि केंद्र किसी तरह बेहतर चल रहा है, लेकिन ग्रामीण अंचल के जन औषधि केंद्रों बोहनी होना भी मुशकिल हो रही है। यहां दवाओं की बिक्री अपेक्षाकृत कम हो रही है। इसका कारण डॉक्टरों द्वारा मरीजों को ब्रांडेड दवा लिखना भी बताया जा रहा है। मरीज भी डॉक्टरों से ब्रांडेड दवा लिखने को कहते हैं, क्योंकि उनका मानना है कि ब्रांडेड दवा जल्द असर करती है। इससे जेनेरिक दवाओं की पूछ परख कम हो गई है। सीएचसी में संचालित औषधि केंद्र के खरीददार गरीब वर्ग के लोग ही हैं। कई डॉक्टर तो कमीशन के लालच में ब्रांडेड दवा लिखते हैं।
यह भी पढ़ें
अच्छी खबर : कलेक्टर से अनुमति लेकर लगा सकेंगे धान की फसल

356 दवाएं उपलब्ध
फार्माशिष्ट प्रकाश कश्यप के मुताबिक जन औषधि केंद्र में मरीजों को 356 प्रकार की दवाएं मिल रही हैं। इन दवाओं में सामान्य सर्दी, खांसी, बुखार, से लेकर कैंसर, हार्ट अटैक तक की दवाएं शामिल हैं। कश्यप के मुताबिक जेनरिक दवाओं की कीमत ब्रांडेड कंपनी की दवाओं की तुलना में 80 से 60 फीसदी तक सस्ती हैं। इतना ही नहीं यह दवा ब्रांडेड दवा जितनी ही असर करती है।

गरीबों के लिए राहत
गरीब व सामान्य वर्ग के लोगों के लिए जन औषधी केन्द्र खुल जाने से बड़ी राहत मिली है। खासकर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में जन औषधि केंद्र खुल जाने से गरीब वर्ग के लोगों को राहत मिली है।

…तो बंद हो जातीं निजी दुकानें
जिले में 265 दवा दुकानें संचालित हैं। अधिकतर दुकानें सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के आसपास संचालित है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के करीब जनऔषधि केंद्र खुल जाने के बाद निजी दवा दुकानों में ताला लग जाएगा ऐसा अनुमान लगाया जा रहा था, लेकिन डॉक्टरों की गलत कार्यशैली से निजी दुवा दुकाने आबाद हैं। डॉक्टर कमीशन के लालच में ब्रांडेड दवा लिखते हैं और इससे दवा दुकानों की दुकान चल रही है। जिसके चलते जन औषधि केंद्र फांके में दिन गुजार रहे हैं। अधिकतर डॉक्टर जन औषधि केंद्र की दवा नहीं लिखते। जिसके चलते यहां की बिक्री प्रभावित होती है।

– शासकीय अस्पताल के डॉक्टरों को केवल जन औषधि केंद्र की जेनेरिक दवा लिखने सख्त हिदायत दी गई है। इसके बाद भी डॉक्टर अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं। शिकायत मिलने पर ऐसे डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी- डॉ. वी जयप्रकाश, सीएमएचओ

ट्रेंडिंग वीडियो