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साहब… ‘हमें कोरोना नहीं, पेट का डर सता रहा, काम नहीं करेंगे तो परिवार का कैसे भरेगा पेट, इसलिए काम पर आएंगे’

locationजांजगीर चंपाPublished: Mar 31, 2020 05:24:25 pm

Submitted by:

Vasudev Yadav

Paddy news: संग्रहण केंद्र व उपार्जन केंद्रों में लग रही भीड़, मजदूरों से लिया जा रहा भीड़ में काम, दो लाख क्ंिवटल धान का उठाव बाकी

साहब... 'हमें कोरोना नहीं, पेट का डर सता रहा, काम नहीं करेंगे तो परिवार का कैसे भरेगा पेट, इसलिए काम पर आएंगे'

साहब… ‘हमें कोरोना नहीं, पेट का डर सता रहा, काम नहीं करेंगे तो परिवार का कैसे भरेगा पेट, इसलिए काम पर आएंगे’

जांजगीर-चांप. साहब हमें कोरोनों से नहीं बल्कि पेट का डर सता रहा है। यदि हम घर पर रहेंगे और काम नहीं करेंगे तो बाल-बच्चों का पेट कैसे भरेगा। हम काम पर आएंगे और कोरोनों से बचने सभी मानकों का पालन करेंगे।
यह बातें उन मजदूरों की कहानी है जो बीते सप्ताह भर तक कोरोना के कहर के कारण घर में दुबके थे, लेकिन पेट की चिंता सताने लगी और वे काम करने का मन बना लिया। ऐसे में उन्होंने मार्कफेड के अफसरों से खुद कहा कि वे काम पर आएंगे और धान का उठाव करेंगे।
साहब... 'हमें कोरोना नहीं, पेट का डर सता रहा, काम नहीं करेंगे तो परिवार का कैसे भरेगा पेट, इसलिए काम पर आएंगे'
गौरतलब है कि जिले के 206 उपार्जन केंद्रों में अब भी एक लाख 95 हजार क्ंिवटल धान का उठाव शेष है। इतने धान की कीमत साढ़े तीन अरब के करीब है। 22 मार्च से कोरोना की वजह से समूचे छत्तीसगढ़ में लॉक डाउन की स्थिति बनी हुई है। ऐसे में उन लोगों का जीना मुश्किल हो गया है जो मजदूर वर्ग के लोग हैं। जिनका मजदूरी ही एकमात्र सहारा है। ऐसे मजदूर वर्ग के लोग कुछ दिनों तक तो घर में छिपे थे, लेकिन अब उनसे रहा नहीं गया तो काम पर जाने के लिए खुद ब खुद राजी हो गए।
ऐसे मजदूर अब उपार्जन केंद्र से धान का उठाव कर रहे हंै। वहीं संग्रहण केंद्र में धान को व्यवस्थित रखा जा रहा है। डीएमओ के मुताबिक ऐसे सभी मजदूरों को सेनेटाइजर दिया गया है। बाकायदा मास्क भी प्रदान किया गया है, लेकिन मजदूर अपने गमछे को ही मजदूरों ने मास्क बना लिया है और सेनेटाइजर का इस्तेमाल कर काम पर लगे हैं।

अब बचे गुणवत्ताहीन धान
लगातार बारिश की वजह से फिर कोरोना का कहर के कारण समय पर धान का उठाव नहीं हो पाया। उपार्जन केंद्र में जितने भी धान है वह सड़े व काले पड़े धान है। कोरोना के कहर के कारण अफसर इन दिनों घर से नहीं निकल रहे हैं और उपार्जन केंद्र प्रभारी ऐसे धान को गुपचुप तरीके से संग्रहण केंद्र भेज रहे हैं।

उपार्जन केंद्र प्रभारी संग्रहण केंद्र प्रभारी से साठगांठ कर इस तरह का गोरखधंधा कर रहे हैं। ऐसे में शासन को बड़ा नुकसान होना तय है। हालांकि ऐसे धान को राइस मिलर्स के पास भेजने दबाव बना रहे हैं, लेकिन राइस मिलर्स भी ऐसे धान को लेने से इनकार कर रहे हैं।
उपार्जन केंद्र व संग्रहण केंद्रों में मजदूरों ने खुद से काम करने के लिए आग्रह किया है। मजदूरों को मास्क व सेनेटाइजर उपलब्ध कराया गया है। मजदूरों को किसी तरह की परेशानी नहीं है। वहीं धान का उठाव भी जरूरी है -सुनील सिंह राजपूत, डीएमओ

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