सरकारी संपत्ति की रखवाली सरकार कैसे करती है इसका जीता जागता उदाहरण जिला मुख्यालय के स्टेडियम संग्रहण केंद्र से देखा जा सकता है। इतना ही नहीं जिले के अन्य संग्रहण केंद्रों में कुछ ऐसे ही हालात हैं। जिले में इस साल रिकार्ड 75 लाख 76 हजार क्ंिवटल धान की खरीदी हुई है। इतने धान को दो भागों में बांटा गया है। एक भाग में राइस मिलों 36 लाख क्ंिवटल धान को दिया गया है तो वहीं दूसरा भाग ३९ लाख क्ंिवटल धान को जिले के पांच संग्रहण केंद्रों में रखा गया है। 2500 रुपए क्ंिवटल के हिसाब से 39 लाख क्ंिवटल धान की कीमत 9 अरब 8 करोड़ 45 लाख रुपए हो रहा है। सबसे अधिक शासकीय भूमि अकलतरा के मुख्य मार्ग में 8 लाख 81 हजार 840 क्ंिवटल धान रखा गया है। इसी तरह जांजगीर के मिल प्रांगण में 8 लाख 43 हजार क्ंिवटल धान रखा गया है।
इसके अलावा बोड़ासागर में पांच लाख 88 हजार, मंडी प्रांगण सक्ती में 7 लाख 94 हजार एवं शासकीय मैदान डभरा में 8 लाख 10 हजार क्ंिवटल धान रखा गया है। इतने धान की रखवाली के लिए रिकार्ड में सैकड़ो की तादात में अस्थायी कर्मचारियों की नियुक्ति की गई है, लेकिन मौके पर कर्मचारियों का नामों निशान दिखाई नहीं पड़ता। शनिवार की दोपहर को पत्रिका ने संग्रहण केंद्र जांजगीर की ग्राउंड रिपोर्टिंग की, जहां मात्र एक कर्मचारी मौके पर मौजूद था। बाकी कर्मचारियों का पता नहीं था। जिससे अरबों के धान भगवान भरोसे था।
नहीं है पर्याप्त कैप कव्हर
संग्रहण केंद्रों में धान को ढंकने के लिए पर्याप्त कैप कव्हर की व्यवस्था नहीं की गई है। यही वजह है कि बेमौसम बारिश में धान भीग जाता है। जबकि पांच साल पहले संग्रहण केंद्र में पर्याप्त कैप कव्हर नहीं होने से २६ हजार क्ंिवटल धान बारिश के पानी में भीग गया था। जिसकी भरपाई एक कर्मचारी को निलंबन होकर करना पड़ा। दरअसल धान बारिश में भीग गए थे। जिससे धान पाखड़ हो गया। जिससे कर्मचारी की रिकवरी हुई।
संग्रहण केंद्र में धान को सुरक्षित रखने के लिए पर्याप्त कर्मचारी लगे हुए हैं। यहां किसी तरह अव्यवस्था का आलम नहीं है। मैं खुद वहां मौजूद रहता हूं।
-विवेक पटेल, संग्रहण केंद्र प्रभारी जांजगीर