मजदूरों की बारी-बारी से जांच कराई गई फिर उन्हें उनके गांव जाने दिया। हालांकि मजदूरों में दहशत का आलम था, लेकिन एक भी मजदूर को इस तरह की शिकायत नहीं मिली। गौरतलब है कि कोरोना का कहर पूरे चरम स्थिति में है। कोरोना के दहशत से मजदूर वर्ग के लोग अच्छे खासे प्रभावित हुए हैं।
हाथी ने चिंघाड़ा तो पत्नी ने पति से सुरक्षित जगह चलने को कहा, पति ने किया इंकार, घर में घुस हाथी ने पटककर मार डाला कोरोना के डर से मजदूर या तो खुद अपने गांव वापस लौट रहे हैं या उन्हें लौटने को कहा जा रहा है। कुछ इसी तरह की शिकायत पर जिला प्रशासन में तब हड़कंप मच गया जब प्रशासन को इस बात की सूचना मिली कि तकरीबन चार दर्जन मजदूर शुक्रवार की रात को शालीमार एक्सप्रेस से वापस लौट रहे हैं।
सूचना मिलते ही प्रशासन में हड़कंप मच गया। प्रशासन ने ऐसे मजदूरों की जांच-पड़ताल के लिए रात को चांपा जंक्शन में डेरा डाल दिया। चांपा एसडीएम बजरंग दुबे व टीआई राजेश श्रीवास्तव की टीम जब स्टेशन पहुंची तब चांपा जंक्शन में तो हसौद क्षेत्र के कुछ मजदूर ही ट्रेन से उतरे, लेकिन अन्य ट्रेनों से जांजगीर स्टेशन में बड़ी संख्या में मजदूर जांजगीर नैला, सक्ती, बाराद्वार, अकलतरा स्टेशन में उतरे। सभी मजदूरों को जिला अस्पताल में शिफ्ट किया गया।
मजदूर भी जवाब देने बचते रहे
जिला अस्पताल में जब बड़ी संख्या में मजदूरों की टोली इलाज के लिए पहुंची थी तब जिला अस्पताल में भी हड़कंप मच गया। जिला अस्पताल में पहुंचे मजदूर खोखारा निवासी गिरीलाल ने बताया कि वह कमाने खाने के लिए दिल्ली गया था। दिल्ली में इस तरह की बीमारी की दहशत से नहीं बल्कि वे रुटीन के तहत जिला अस्पताल आए हैं। उन्हें किसी तरह की बीमारी नहीं है। इसी तरह भड़ेसर के कांसी प्रसाद सूर्यवंशी ने बताया कि वह रोजी-रोटी के लिए हाल ही में जम्मू कश्मीर गया था, लेकिन सर्दी बुखार होने से वापस लौटना पड़ा। उसे किसी तरह की बीमारी नहीं है।
-रोजी-रोटी के लिए दूसरे प्रदेश पलायन कर गए मजदूरों को जिला अस्पताल लाया गया। मजदूरों की जांच की जा रही है। जांच उपरांत मजदूरों को छुट्टी दी जाएगी। हालांकि किसी मजदूरों को कोरोना की शिकायत नहीं है। डॉ. अनिल जगत, मेडिकल अफसर