नबाव की नगरी के नाम से विख्यात जावरा शहर की पहचान किसी समय जावरा शुगर (चीनी) मिल के नाम से थी, लेकिन शुगर मिल के बंद होने के साथ ही इस मिल की करोड़ो रुपए की जमीन विरान हो गई, लेकिन अब यह विरान पड़ी जमीन ही जावरा शहर को एक बार फिर से नई पहचान दिलाएगी। प्रदेश की कांग्रेस सरकार के मुखिया कमलनाथ ने कुर्सी संभालने के साथ ही पहला काम घोषणा में जावरा की विरान पड़ी जावरा शुगर मिल की जमीन पर टैक्सटाइल पार्क स्थापित करने की घोषणा की, इसकी प्लानिंग और नक्शा भी बनकर तैयार है, गुरुवार को इस जमीन का सामूहिक सीमांकन भी हो गया है, अब शीघ्र ही जावरा शहर को टैक्सटाइल पार्क के रुप में सौंगात मिलने वाली है।
प्रदेश की कमलनाथ सरकार ने कुर्सी संभालने के साथ ही रतलाम जिले के जावरा को औद्योगिक क्रांति से जोड़ते हुए यहां की विरान पड़ी शुगर मिल की जमीन पर गारमेंट्स पार्क स्थापित करने की घोषणा की थी, सरकार का एक साल का कार्यकाल पूर्ण होने के साथ ही इस जमीन पर उद्योग स्थापित करने की दिशा में भी सरकार ने कदम बढ़ा दिए है। इस जमीन पर टेक्सटाइल पार्क स्थापित करने के लिए प्लानिंग और नक्शा इत्यादी बन चुके है, अब केवल जमीन का सीमाकंन होना था बाकी थी, जो कि गुरुवार को उद्योग विभाग और राजस्व की टीम ने संयुक्त रुप से कर लिया है।
गुरुवार को सुबह करीब 10 बजे एमपीआईडीसी के जेई धनंजय पण्डया तथा आरआई राम तरवरिया के साथ राजस्व विभाग के आरआई रामनिवास वाक्तरिया, पटवारी पंकज राठौर, नवीन शर्मा तथा रसुबाला गामड़ की संयुक्त टीम ने शुगर मिल की विरान पड़ी 36 हैक्टेयर भूमी का सामूहिक सीमांकन किया। जिसके तहत ग्राम कुम्हारी स्थित सर्वे नम्बर 111 और 112 के साथ ही जावरा कस्बै के विभिन्न 29 सर्वे नम्बरों का सीमाकंन किया गया। वहीं इसी जमीन पर पूर्व से स्थापित ईसाई कब्रस्तान, अकेला हनुमान मंदिर के साथ ही अन्य जमीन जिस पर शुगर मिल के समय से किसी कार्य के लिए आवंटित करते हुए राजस्व रिकार्ड में दर्ज है, उसे छोड़कर शेष बची जमीन का सीमाकंन किया गया। इस दौरान जरीब से नप्ती की गई और चुने की लाईन डालकर निशान लगाए और सीमा का ज्ञान कराया गया। जमीन का सीमांकन होने के साथ ही अब शीघ्र ही इस जमीन पर टैक्सटाईल पार्क का निर्माण होगा, जिससे जावरा शहर को एक नई पहचान मिलेगी।