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44 किमी तक नई रेल लाइन डलेगी

locationजावराPublished: Feb 08, 2018 06:00:30 pm

Submitted by:

harinath dwivedi

सर्वे को मंजूरी, जावरा से ताल-आलोट तक डलेगी रेल लाइन

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जावरा। आलोट से ताल होकर जावरा तक वर्तमान में रेल लाइन नहीं है और इसके लिए लंबे समय से प्रयास चल रहे है। जावरा मंदसौर और आलोट, ताल उज्जैन संसदीय क्षेत्र का हिस्सा है। गत वर्ष भी आलोट से ताल होकर जावरा तक रेल लाईन सर्वे को मंजूरी मिली थी, लेकिन साल भर से सर्वे तो ठीक यहां कोई आया तक नहीं और फिर से इस बार भी रेल बजट के बाद पिंक बुक में आलोट-जावरा के बीच ४४ किमी रेल लाइन सर्वे को मंजूरी मिली है। रतलाम-नीमच के बीच ९१० करोड़ में होने वाले दोहरीकरण के साथ ही विद्युतीकरण के मुद्दें ने लोगों को थोड़ी राहत जरूर दी। रेल लाईन के लिए सर्वे में ही यह हालात है तो इस क्षेत्र के लोगों को रेलवे लाइन की सौगात कब मिलेगी यह भी समझ से परे है।

दोहरीकरण और विद्युतीकरण देगा दिशा, ब्रिज भी जल्द बनेगा
सांसद सुधीर गुप्ता ने बताया कि दोहरीकरण के लिए ९१० करोड़ की मंजूरी मिली है। वर्तमान में सिग्नल ट्रेक है। दोहरीकरण के साथ ही रतलाम-नीमच रेल खंड में विद्युतीकरण होने के साथ यहां यात्री व माल गाडिय़ों की संख्या भी बढ़ेगी और बड़े शहरों से सीधा क्षेत्र जुड़ेगा। दोहरीकरण व विद्युतीकरण से रेल सुविधाओं का विस्तार होगा। जिससे क्षेत्रके हजारों लोगों को लाभ होगा। जावरा में फाटक पर ब्रिज का मुद्दा स्वीकृत है और सीएम ने यहां भूमिपूजन कर दिया है। यह जीएम स्तर तक का ही मामला है, इसलिए यह काम भी जल्द करवा दिया जाएगा।
पिछले साल बजट में इस लाईन के लिए सर्वे होने के बाद से जनप्रतिनिधियों ने इस मामले को लेकर आवाज ही नहीं उठाई और जनप्रतिनिधियों की अरुचि के कारण ही यह मुद्दा अधर में पड़ा हुआ है और इसी के चलते वर्षों से आलोट-जावरा के बीच रेल लाईन की सौगात का इंतजार कर रहे क्षेत्रवासी भी अचंभित है कि पिछले साल के बाद इस बार फिर बजट में इसी लाईन के सर्वे की घोषणा हुई, लगातार दो साल से सिर्फ लाईन के सर्वे की घोषणा हो रही तो सर्वे कब होगा और लाईन डलने के बाद यहंा यात्री गाडिय़ों कब दौड़ेगी।
ब्रिज पर फिर फंसा रेलवे का पेंच
फाटक पर अंडरब्रिज की स्वीकृति के बाद यह भी अब तक नहीं बना। इस बीच राज्य शासन ने यहां ओवरब्रिज स्वीकृत कर दिया। सेतु विभाग ने तमाम तैयारियां पूरी कर ली, लेकिन रेलवे की अनुमति के बिना यह काम शुरू नहीं हो पाया। पिछले दो साल से अधिक समय से यही मुद्दा रेलवे की एक अनुमति के कारण अटका है। २९ नवंबर को सीएम ने भूमिपूजन किया और विधायक इसके लिए दिल्ली में रेल मंत्री के पास पहुंचे और बजट के बाद हर और से यहीं दावे किए गए। विभागों ने भी काम शुरु कर दिया, लेकिन पिंक बुक सामने आने के बाद ब्रिज का मुद्दा इसमें शामिल नहीं होने से एक बार फिर ब्रिज अधर में है। हालंाकि जनप्रतिनिधि मसले का जल्द हल निकालने का दावा कर रहे है।
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