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झगड़े की जड़ बनी एम्बुलेंस

टोंक. सआदत अस्पताल परिसर में महीनों से खड़ी एम्बुलेंस मरीजों व चिकित्साकर्मियों की बीच झगड़े की जड़ बनी हुई है। परिजनों का आरोप है कि मरीज के जयपुर रैफर करने के बावजूद ये एम्बुलेंस नहीं भेजी जा रही।

टोंकSep 19, 2016 / 12:42 pm

pawan sharma

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टोंक सआदत अस्पताल में खड़ी एम्बुलेंस।

टोंक. सआदत अस्पताल परिसर में महीनों से खड़ी एम्बुलेंस मरीजों व चिकित्साकर्मियों की बीच झगड़े की जड़ बनी हुई है।

 परिजनों का आरोप है कि मरीज के जयपुर रैफर करने के बावजूद ये एम्बुलेंस नहीं भेजी जा रही।
 जबकि चिकित्साकर्मियों का कहना है कि एम्बुलेंस सीएमएचओ कार्यालय के अधीन होने से वे ही इसे भेज सकते हैं। 

बरहाल इसका खामियाजा मरीजों व परिजनों को उठाना पड़ रहा है।

 हालात यह है कि अस्पताल परिसर में एम्बुलेंस होने के बावजूद मरीज तड़पने पर विवश हैं। हालांकि सआदत अस्पताल की एम्बुलेंस भी है। 
इनमें दो चालक कार्यरत हैं। दोनों एम्बुलेंस के बाहर जाने पर यही एम्बुलेंस लोगों को खड़ी दिखाई देती है। इससे आए दिन मारपीट तक की नौबत आ रही है।

दर्जन मरीज प्रतिदिन हो रहे रैफर
राजमार्ग पर स्थित होने से जिले में सड़क दुर्घटनाओं व अन्य हादसों में घायलों की संख्या ज्यादा रहती है।

 इससे सआदत अस्पताल से औसतन दर्जनभर मरीज प्रतिदिन जयपुर रैफर होते हैं।

 इस दौरान समय पर चालक नहीं मिलने से परिजनों की ओर से हंगामा करने की घटनाओं में भी बढ़ोतरी हो रही है।
लोगों का कहना है कि देवली जैसे सामुदायिक अस्पताल में ही छह चालक कार्यरत है, जबकि जिला मुख्यालय के अस्पताल में महज दो ही चालक हैं।

रैफर करना भी मजबूरी

अस्पताल में एक करोड़ की लागत से बने ट्रोमा यूनिट बंद होने से भी गंभीर घायलों को रैफर करना चिकित्सकों की मजबूरी बनी हुई है।
 वरिष्ठ चिकित्सकों व संसाधनों के अभाव में भी परिजन रैफर कराना ही उचित समझते हैं। ट्रोमा यूनिट का संचालन शुरू हो तो घायलों को 24 घंटे सर्जरी की सुविधा नसीब हो सकती है। 

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