बरसात में हो पूरा गांव हो जाता है टापू: कलिया, बुटंगा, गैलूंगा सहित कुछ आश्रित ग्राम है जहां आज भी आवागमन की सुविधा का अभाव है। गांव में बिजली नही है, स्वस्थ्य सुविधा भी ठीक नही है। आज भी मूलभूत आवश्यकताओं से यह क्षेत्र पिछड़ा हुआ है। बरसात आते ही इन पंचायतों का विकास खंड और जिला से सम्पर्क टूट जाता है। क्षेत्र के ग्रामीण बताते हैं कि यह गांव विकास खंड से 25 और जिले से 80 किलोमीटर की दूरी पर है, पर बरसात में यह दूरी दुगुनी से तिगुनी तक हो जाता है। विकास खंड और जिला जाने के लिए जंगलों में चारों तरफ छोटे छोटे नदी नाले हैं, जिनको पार करके ही विकास खंड, जिला या कुछ बच्चे पढ़ाई करने जाते हैं। बरसात में जान जोखिम में डालकर बच्चे अपने भविष्य का निर्माण करते हैं। जंगलों के मार्ग कच्चे हंै, जहां बरसात के दिनों में पैदल चलना दूभर हो जाता है।
क्षेत्र में नही पहुंचते बड़े नेता या बड़े अधिकारी : ग्रामीणों का कहना है कि चुनाव से पहले इस भोले भाले आदिवासी पिछड़े क्षेत्र में मंडल, जिला, प्रदेश सहित अन्य राज्यों के नेता भी इस क्षेत्र में हेलीकॉप्टर से अपनी उपस्थिति दे देते हैं और बड़े बड़े वादे कर गरीब आदिवासियों को बरगला कर चले जाते हैं, लेकिन यहां की मूल समस्या जस की तस बनी हुई है।