वन विभाग ने इस क्षेत्र में लोगों को किया आगाह
इस विषय में डीएफओ जितेन्द्र उपाध्याय ने बताया कि जिले में करीबन 45 से 50 हाथी मौजूद हैं, जो जिले के अलग-अलग क्षेत्र में हैं। उन्होंने बताया कि झारखंड सीमा सपघरा उड़ीसा सीमा के लवाकरा, नारायणपुर, चटकपुर और पत्थलगांव क्षेत्र में भी हाथी मौजूद हैं। इसके साथ ही उन्होंने जानकारी दी कि झारखंड-उड़ीसा राज्य के जंगलों में कितने हाथी मौजूद हैं। इसकी जानकारी विभाग को नहीं लग पाती है, क्योंकि हाथियों का आने-जाने का रास्ता जशपुर से ही होकर गुजरता है, तो हाथी इधर प्रवेश कर जाते हैं। इसके अलावा वन विभाग की टीम लगातार हाथी प्रभावित क्षेत्रों में लोगों को आगाह कर चेतावनी दे रही है। बीते कुछ दिनों से लगातार हाथियों के विचरण को देखते हुए घरों के अंदर लोगों को सोने की सलाह दी जा रही है, लेकिन लोग सलाह ना मानकर घर के बाहर सो रहे हैं और ऐसी घटनाएं हो रही हैं।
उल्लेखनीय है कि पिछले 1 महिने में दुलदुला विकासखंड क्षेत्र में हाथियों से हमले में मौत की यह दूसरी घटना है। इससे पहले 1 जून को ही हाथी के हमले से ग्राम सिरिमकेला में घटना घटित हुआ था जिसमें 1 व्यक्ति की मौत का मामला सामने आया था। जिसके बाद से वन अमला लगातार हाथियों के लोकेशन की जानकारी लेकर लोगों की सुरक्षा में अतुल्य योगदान दे रहा है लेकिन पड़ोसी राज्य झारखंड के जंगल से अचानक आए एक हाथी का लोकेशन पता नहीं चल सका और यह हादसा हो गया।
दुलदुला ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष अरविंद साय ने बताया कि इस घटना को लेकर उन्होंने वन विभाग के अधिकारियो से बात की है और झारखण्ड की सीमा में बसे गांव के सरपंचों से समन्वय बनाने को कहा है। उन्होंने कहा कि जिले के इलाकों से हाथियों के गावो में आने की सूचना मिल जाती है लेकिंन झारखण्ड की ओर से आने वाले हाथियों को लेकर लोगो को सूचना नहीं मिल पाती और फिर ऐसी घटनाएं घटित हो जाती है ऐसे में जरूरी हो गया है कि झारखण्ड के ग्राम पंचायतों से भी वन विभाग के अधिकारी समन्वय स्थापित करें। दुलदुला झारखण्ड की सीमा से लगा हुआ है और यहां के कई गांव झारखण्ड से बिल्कुल सटे हुए हैं।