scriptदमेरा-चरईडांड़ मार्ग में बना ऐसा घाट जहां हर दिन बाइक सवार हो रहे घायल | A ferry built on the Damera-Charidand route, where every day a bike ri | Patrika News

दमेरा-चरईडांड़ मार्ग में बना ऐसा घाट जहां हर दिन बाइक सवार हो रहे घायल

locationजशपुर नगरPublished: Jan 14, 2019 09:48:35 am

Submitted by:

Amil Shrivas

आखिरी मोड़ में उतरने-चढऩे और दोनो ओर से यात्रा करने वाले लोग हो रहे दुर्घटना का शिकार

jashpur nagar

दमेरा-चरईडांड़ मार्ग में बना ऐसा घाट जहां हर दिन बाइक सवार हो रहे घायल

जशपुरनगर. जशपुर से दमेरा होते हुए चरईडांड़ की सडक़ एक बार फिर यह सडक़ चलने लायक नहीं रह गई है। रविवार को इस सडक़ पर सुबह से शाम तक पचासों बाईक सवार घाट पर चढने या उतरने की कोशिश में फिसले या फिर गिरकर घायल हुए। मुख्यमंत्री की घोषणा और कलक्टर के समीक्षा बैठक में लोक निर्माण विभाग को इस सडक़ का निर्माण कार्य मार्च २०१९ तक पूरा करने के आदेश देने के बाद भी अभी तक इस सडक़ पर कहीं पर भी निर्माण कार्य शुरू तक नहीं हुआ है।
वन मार्ग होने के कारण वर्ष २०१६ में वन विभाग ने 2.50 लाख रुपए खर्च कर दमेरा-चरईडांड़ मार्ग के गढ्ढो को भरा गया था। सडक़ बहने से बचाने के लिए बरसाती पानी को निकालने के लिए क्रास बैंड भी बनाया था। इसके बावजूद शुरुआती बारिश में ही गढ्ढो में भरी मिट्टी बह गई थी। वन विभाग ने दुबारा इसमें मिट्टी भरकर चलने लायक बनाया था। जो बारिश और वाहनो की आवाजाही में पूरी तरह से बह गई थी और इस मार्ग में आवागमन पूरी तरह से ठप्प हो गया था। जिसके बाद वन विभाग के द्वारा इस मार्ग का मरम्मत कार्य भी शुरू किया था। इसके साथ लोक निर्माण मंत्री राजेश मूणत के जशपुर प्रवास के दौरान इस मार्ग के निर्माण की घोषणा की थी। वहीं वन विभाग के द्वारा वर्ष २०१७ में ही कहा गया था कि बरसात के बाद इस मार्ग का मरम्मत के साथ-साथ निर्माण कार्य भी प्रारंभ करवा दिया जाएगा। जिला मुख्यालय से कुनकुरी, बगीचा, चरईड़ाड की दूरी कम करने के लिए शॉर्टकट रास्ते के रूप में लंबे समय से दमेरा से होते हुए चरईडांड़ तक पहुंचने वाले मार्ग का इस्तेमाल लोगों द्वारा किया जाता रहा है। इस मार्ग से जशपुर और कुनकुरी व बगीचा की दूरी बहुत ही कम हो जाती है। इसलिए इसका उपयोग आम जनता और अधिकारियों द्वारा एनएच 43 से भी अधिक किया जाता था। यहां दो पहिया वाहनों के साथ ही चार पहिया वाहन भी चलते हैं। इस मार्ग की बढ़ती उपयोगिता को ध्यान में रखते हुए दिवंगत स्व. दिलीप सिंह जूदेव की पहल पर प्रदेश के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने भी इसका पक्का निर्माण कराने की दो बार घोषणा की लेकिन मार्ग अबतक अधूरा है। मुख्यमंत्री की घोषणा को पूरी तरह अमल में लाए बगैर घोषणा के आड़ में पैसा कमाने का खेल सडक़ निर्माण विभाग और पंचायत विभाग और वन विभाग की ओर से लगातार खेला जाता रहा है। जानकारों के मुताबिक जब से उक्त सडक़ अस्थित्व में आया है तब से किसी न किसी रूप से शासकीय पैसे से खानापूर्ति का कार्य कराकर लाखों रुपए हजम करने का खेल खेला जा रहा है। वन विभाग की ओर से सडक़ की मुरूमीकरण हो या नाली निर्माण सभी की हालत दयनीय है। जो पैसे के बंदरबांट को जीता जागता उदाहरण है। उक्त सडक़ के नाम पर लाखों, करोड़ों रुपए हर साल फंूके जाते हैं और बारिश उन पैसों को बहा कर ले जाता है। शासकीय विभागों के कारनामों की वजह से यहां चार महीने तक इस मार्ग में वाहन चलना पूरी तरह से बंद हो जाएगा।

आदेश के बाद भी शुरू नहीं हुआ कार्य : जशपुर से दमेरा होते हुए चरईडांड़-कुनकुरी और बगीचा पहुंचने वाली सडक़ का जल्द से जल्द निर्माण करने के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह अपने जशपुर प्रवास के दौरान कई बार घोषणा कर चुके हैं। लेकिन आजतक घोषणा को पूरा करने पर अमल नहीं किया गया। २१ दिसम्बर को कलेक्टोरेट में आयोजित लोक निर्माण विभाग के कार्यों की समीक्षा के दौरान जशपुर की तत्कालीन कलक्टर प्रियंका शुक्ला ने भी जशपुर के दमेरा चराईडांड मार्ग को शीघ्र ही प्रारंभ करते हुए माह मार्च 2019 तक पूर्ण कराए जाने के निर्देश दिए थे, लेकिन इस दिशा में तमाम तरह की स्वीकृति मिलने के बाद भी लोक निर्माण विभाग ने निर्माण कार्य शुरू भी नहीं किया है। इस सडक़ से कुनकुरी की दूरी 11 किलोमीटर तक कम हो जाती है। एक तो दूरी कम होने ऊपर से जशपुर से कुनकुरी की ओर जाने वाली एनएच ४३ सडक़ में निर्माण कार्य जोरों पर है, जिसकी वजह से लोग इस सडक़ का मतबूरी में उपयोग कर रहे हैं लेकिन इस सडक़ पर फिलहाल चलना जान जोखिम में डालने वाला काम है।
नाली और सडक़ के नाम पर लाखों हजम : मिट्टी की सडक़ बनाने के नाम पर कभी मनरेगा से तो कभी पंचायत विभाग से हमेशा लाखों रुपए का वारा न्यारा किया जाता रहा है। कुछ ऐसा ही कारनामा समय-समय पर वन विभाग की ओर से भी किया जाता रहा है। मिट्टी की सडक़ पर लाखों रुपए खर्च करने के बाद भी बारिश के बाद उसका कोई भी वजूद नहीं रह जाता है। दमेरा-चरईडांड़ मार्ग भी वन विभाग और पीडब्लूडी की ओर से नाली और मिट्टी की सडक़ बनाने के नाम पर लाखों रुपए का वारा न्यारा किया जा चुका है।
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