इस संबंध में प्राप्त जानकारी के अनुसार अनुदान राशि में बी.आर.सी.सी कार्यालय में बैठे अधिकारियो द्वारा कमीशन लेने का मामला अभी ठीक से थमा भी नहीं था कि यहां के बी.आर.सी.सी कार्यालय में एक बार पुन: कमीशन की आड़ में बालवाड़ी का काम भ्रष्टाचार की भेंट चढ गया। प्रधानपाठक इस बात का विरोध तो कर रहे है, पर शायद उनके विरोध को सुनने वाला कोई रह नही गया है। प्रधानपाठको ने स्कूलो में थमाये जा रहे बगैर जी.एस.टी के बिल पर भी आपत्ति दर्ज की है।
उच्च अधिकारियों की मेहनत पर फेर रहे पानी – आदिवासी अंचल जशपुर जिला शिक्षा एवं चिकित्सा के नाम से काफी पिछड़ा हुआ है। वर्तमान में पदस्थ जिला कलेक्टर डॉ रवि मित्तल एवं जिला पंचायत सी.ई.ओ जितेन्द्र यादव द्वारा कार्यभार ग्रहण करने के बाद से ही शिक्षा एवं चिकित्सा के क्षेत्र मे निरंतर कार्य कर रहे हैं, पर शिक्षा विभाग के अधिनस्थ अधिकारी अपने उच्च अधिकारियों की मंशा को भी धूमिल करने की कोई कसर नहीं छोड़ रहे, जिस प्रकार शिक्षा विभाग में एक के बाद एक योजनाओं पर कालिख पोतने का काम हो रहा है, ऐसे में वह दिन दूर नहीं जब शासन की मंशा के साथ-साथ उच्च अधिकारियों की सोच एवं आदिवासी अंचल के बच्चों की शिक्षा पर भी ग्रहण लग जाएगा।
कमीशन को लेकर पेंटर से हुई झड़प- सत्य को साक्ष्य की जरूरत नहीं पड़ती। कहते है कि दोषी स्वयं ही अपने गुनाहों की गवाही किसी के माध्यम से तैयार कर देते हैं, ऐसा ही कुछ मामला दो दिन पहले यहां के बी.आर.सी.सी कार्यालय में भी घटित हुआ। जब विजय आर्ट के संचालक विजय साहू द्वारा दो बालवाड़ी का काम करने के बाद प्रधानपाठक द्वारा भुगतान किए गए 35 हजार रुपए की रकम में से 14 हजार रुपए बतौर कमीशन देने बी.आर.सी.सी कार्यालय पहुंचे तो वहां के एक बाबू के साथ उनकी काफी तीखी नोक झोंक हो गई, जिसके बाद पेंटर ने बी.आर.सी.सी कार्यालय की पोल खोलते हुए उनके साथ हुई झडप की शिकायत थाने में देने की बात कही।
मामला संज्ञान में है, जांच में दोषी पाए जाने पर संबंधितों पर कार्यवाही की जाएगी। हेमंत उपाध्याय, संयुक्त संचालक, सरगुजा संभाग