हर गांव में बांटा गया है टेस्ट किट : स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि जिले में डेंगू के पहचान के लिए प्रत्येक विकासखंडो में डेंगू टेस्ट किट उपलब्ध करा दिया गया है और ग्रामीण क्षेत्रों में जिस किसी भी व्यक्ती को लगातार बुखार आने की शिकायतें आ रही हैं उनका उस किट के माध्यम से टेस्ट किया जा रहा है। मनोरा में भी किट के टेस्ट में ही राकेश का स्क्रीनिंग सैपंल रिपोर्ट पॉजिटीव आया था जिसके बाद उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
जिला अस्पताल में नहीं है कोई सुविधा में : डेंगू की पुष्टि के लिए एलिसा टेस्ट जरूरी होता है, डाक्टरों का कहना है कि डेंगू किट में पॉजिटिव आने वाले मरीजों का जब तक एलिसा टेस्ट नहीं करवा लिया जाता है तब तक उसे डेंगू का मरीज नहीं माना जाता है,उसे मरीज को डेंगू का संदिग्ध मरीज मानकर ही चलते हैं। इस दौरान संदिग्ध मरीज को आइसोलेशन की आवश्यक्ता पड़ती है और उस मरीज को आइसोलेट किया जाता है। लेकिन जिला अस्पताल में अब तक डेंगू के संदिग्ध मरीजों के लिए अलग से कोई भी व्यवस्था नहीं किया गया है जहां ऐसे मरीजों का आइसोलेशन किया जा सके।
रिपिट डेंगू किट में मरीज का रिपोर्ट पॉजिटिव आया है, किट टेस्ट की रिपोर्ट को संदेहास्पद माना जाता है एलिसा टेस्ट के बाद ही कंफर्म हो पाएगा कि मरीज को ड़ेगू है या नहीं। मरीज का संपैल लेकर एलिसा टेस्ट के लिए रायपुर भेज दिया गया है। वहां से तीन चार दिनों के बाद रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।
डॉ. आरएल तिवारी, सीएमएचओ जशपुर
डॉ. आरएल तिवारी, सीएमएचओ जशपुर