सोमवार सुबह सबसे पहले कलक्टर जशपुर ब्लाक के पीड़ी पंचायत पहुंचे। यहां लगभग पांच एकड़़ चट्टान पर यह देखा गया कि यहां प्राचीन समय से ही शिवलिंग निर्मित हैं। यहां के चट्टान में ग्रामीण अपने अनाज सुखाने, ढेकी के रूप में निर्मित कर कुछ गड्ढे किए जाने के प्रमाण दिखाई दे रहे हैं। ग्रामीणों ने बताया कि प्राचीन समय से ही इस स्थान का उपयोग अनाज तैयार करने में ग्रामीण करते रहे हैं। इस स्थान को संरक्षित किया जा सकता है। कलक्टर ने कहा कि इस स्थान को गौठान सहित ऐसे कार्य के लिए प्रयोग में लाया जा सकता है। जिससे पंचायत के लोगों को लाभ होगा। इसके बाद कलक्टर झोलंगा पंचायत के दुरस्थ ग्राम घोराघाट पहुंचे। जहां कलक्टर को देखने के लिए बड़ी संख्या में ग्रामीण पहुंचे। ग्रामीणों ने गांव से लगे पहाडिय़ों पर दिखाया कि अंग्रेज जमाने में यहां अगरिया समुदाय के द्वारा छिपकर लोहा तैयार किया जाता था और ग्रामीणों को कृषि यंत्र, औजार उपलब्ध कराए जाते थे। घोराघाट में कई महत्वपूर्ण स्थल हैं और इन्हें संरक्षित करने की आवश्यकता है। ग्रामीणों ने दिखाया कि पहाड़ी पर बड़ी मात्रा में स्लेग पड़े हुए हैं। जो इस बात के प्रमाण हैं कि यहां पर प्राचीन समय में लोहा तैयार किया जाता था। स्थलों को देखने के बाद ग्राम में चैपाल लगी जिसमें कलक्टर ने ग्रामीणों से उनकी समस्या पूछी।
कुछ वृद्धों ने पेंशन नहीं मिलने की शिकायत की। वहीं अगरिया जनजाति, तुरीए बसोड़ जाति के लोगों ने जाति प्रमाण पत्र को लेकर आ रही समस्या से अवगत कराए। समस्या पर कलक्टर ने कहा कि गांव में ही शिविर का आयोजन कर इस समस्या का निराकरण किया जाएगा।
उन्होंने स्कूलों में शिक्षकों की उपस्थित को लेकर भी ग्रामीणों से पूछा। जिस पर ग्रामीणों ने बताया कि स्कूल समय पर लगते हैं और शिक्षक भी आ रहे हैं। एक नेत्रहीन बच्चे को देखकर कलक्टर ने जशपुर के दृष्टिबाधित स्कूल में बच्चे के प्रवेश हेतु प्रेरित किया और सहयोग की बात कही।