जशपुर जिले के बगीचा थाना में 41 वर्षीय दिलेश्वर भगत आरक्षक (Constable Dileshwar Bhagat) के पद पर पदस्थ था। उसकी ड्यूटी 2 अप्रैल को जशपुर में बीजेपी व आरएसएस द्वारा आयोजित सरहूल त्यौहार के एक कार्यक्रम में लगी थी। दरअसल सरहूल पर्व आयोजन को लेकर रानी पड़हा समाज के लोग विरोध कर रहे थे।
विवाद की स्थिति को देखते हुए यहां जशपुर के अलावा अन्य जिलों से पुलिसकर्मियों को बुलाया गया था। इधर 4 अप्रैल की आधी रात कुनकुरी के बाजारडांड़ स्थित प्लाईवुड व फर्नीचर व्यवसायी के दुकान व मकान में भीषण आग लग गई। इसके बाद आरक्षक दिलेश्वर भगत को अन्य पुलिसकर्मियों के साथ ड्यूटी पर कुनकुरी भेजा गया।
5 अप्रैल को पूरे दिन घटनास्थल पर ड्यूटी करने के बाद 6 अप्रैल को पुलिस बस से सभी पुलिसकर्मियों को जिला मुख्यालय जशपुर लाया गया।
बस से नहीं उतरा आरक्षक दिलेश्वर
पुलिस बस जब जशपुर पहुंची तो सभी पुलिसकर्मी बस से उतर गए लेकिन आरक्षक दिलेश्वर नहीं उतरा। यह देख कुछ पुलिसकर्मी फिर से बस में चढ़े और आरक्षक दिलेश्वर को हिलाया-डुलाया लेकिन उसके शरीर में कोई हलचल नहीं हुई। यह देख वहां हडक़ंप मच गया और उसे तत्काल बस से उतारकर जिला अस्पताल ले जाया गया।
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पुलिस बस जब जशपुर पहुंची तो सभी पुलिसकर्मी बस से उतर गए लेकिन आरक्षक दिलेश्वर नहीं उतरा। यह देख कुछ पुलिसकर्मी फिर से बस में चढ़े और आरक्षक दिलेश्वर को हिलाया-डुलाया लेकिन उसके शरीर में कोई हलचल नहीं हुई। यह देख वहां हडक़ंप मच गया और उसे तत्काल बस से उतारकर जिला अस्पताल ले जाया गया।
यहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। आरक्षक की मौत किस कारण से हुई है इसका पता फिलहाल नहीं चल सका है। पीएम रिपोर्ट आने के बाद ही मौत का कारण स्पष्ट हो पाएगा।
कोरोना से बेटी की हो गई थी मौत
आरक्षक की मौत (Constable death|) की खबर पुलिस के आला अधिकारियों (Police Officers) द्वारा उसके परिजनों को दी गई। खबर सुनकर परिजन जशपुर पहुंचे। पुलिस ने पीएम पश्चात शव उनके सुपुर्द कर दिया है। बताया जा रहा है कि आरक्षक दिलेश्वर की पुत्री की मृत्यु पिछले साल कोरोना से हो गई थी। आरक्षक की मौत से उसके परिजनों में मातम पसरा हुआ है।