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नए एलीफेंट कॉरिडोर बनाने की योजना को मूर्तरूप देने में जुटा है वन विभाग

झारखंड, ओडि़शा के साथ जशपुर, सीतापुर और रायगढ़ तक वन क्षेत्रों में तैयार करने की है योजना

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Forest Department is planning to embark on a plan to build a new Eleph

नए एलीफेंट कॉरिडोर बनाने की योजना को मूर्तरूप देने में जुटा है वन विभाग

जशपुरनगर. जिले में विकराल रुप ले चुकी जंगली हाथी की समस्या से जिले के लोगों के साथ-साथ वन विभाग भी परेशान है। हाथियों की समस्या के सामाधान के लिए पूर्व में बादलखोल अभ्यारण्य को एलीफेंट कॉरिडोर के रुप में विकसित करने की योजना थी, लेकिन यह योजना सफल नहीं हो सकी। वहीं अब विभाग के द्वारा हाथी की समस्या के समाधान के लिए नए एलीफेंट कॉरिडोर बनाने की योजना को मूर्तरुप देने में लगा हुआ है। इस एलिफेंट कॉरिडोर में हाथियों के भोजन पानी की भी व्यवस्था की जाएगी। हाथियों की समस्या के समाधान के लिए वन विभाग नए ऐलीफेंट कॉरिडोर को मूर्तरूप देने में लगा हुआ। यह कॉरिडोर झारखंड, ओडि़शा से लगे हुए गांवों के साथ दुलदुला, तपकरा, कांसाबेल, पत्थलगांव, सीतापुर और रायगढ़ जिले के कापू तक तैयार किया जाएगा। इस कॉरिडोर में हाथियों के आवास के साथ-साथ उनके चारा और पानी की भी व्यवस्था की जाएगी। ताकि हाथी कॉरिडोर से बाहर आकर लोगों को नुकसान ना पंहुचा सके। वर्तमान में हाथियों के लिए ऐसी कोई व्यवस्था नहीं होने के कारण आए दिन हाथियों का दल शाम होते ही जंगलो से निकलकर किसी ना किसी गांव में पंहुच जाते हैं और ग्रामीणों को नुकसान पंहुचाने के साथ-साथ जनहानी की भी घटना घटीत कर रहे हैं। हाथियों के द्वारा फसल नुकसान, मकान नुकसान के साथ-साथ जनहानी करने से ग्रामीण परेशान है और वहीं ग्रामीणों के साथ-साथ वन विभाग भी इस समस्या से परेशान हैं।

कार्ययोजना कागजों तक ही रही सीमित : एलीफेंट कॉरिडोर में जिले की एकमात्र बादलखोल अभ्यारण्य के साथ सरगुजा और तमोर पिंगला और सेमरसोत अभयारण्य को भी शामिल किया गया था। एलीफेंट कॉरीडोर की इस मूल योजना में रायगढ़ जिला भी शामिल था। वन विभाग के मुताबिक जशपुर के बादलखोल और सरगुजा जिले के सेमरसोत व तमोर पिंगला अभ्यारण को शामिल कर 10 किमी चौड़ी पट्टी क्षेत्र का विकास जंगली हाथियों के सुरक्षित आवास और आवागमन के लिए सुवधिाओं को विकसीत करने के लिए किया जाना था। इस कॉरिडोर के स्थापना के बाद जहां जंगली हाथियों को सुरक्षित आवास का विकास किया जाना था। कॉरीडोर क्षेत्र में हाथियों के लिए चारागाह और जल स्त्रोतों के विकास को प्राथमिकता भी दी गई थी। कॉरीडोर क्षेत्र में हाथियों के लिए प्राकृतिक आवास विकसीत कर वन क्षेत्रों में हाथियों की समेटने की मंशा सरकार की थी। कॉरीडोर निर्माण को हरी झंडी मिलने के बाद प्रदेश सरकार कॉरिडोर विकास में आने वाले व्यय के आंकलन में भी जुट गया था, लेकिन अभी तक ऐलीफेंट कॉरिडोर का काम पूर्ण नहीं हो सका है।
कॉरिडोर में लगाए जाएंगे बांस : नया हाथी कॉरिडोर झारखंड ओडि़सा से लगे हुए गांवों के साथ दुलदुला, तपकरा, कांसाबेल, पत्थलगांव, सीतापुर और रायगढ़ जिले के कापू तक तैयार किया जाएगा। इस कॉरिडोर में कई लोगों के निजी भूमि और खेत भी आ रहे हैं। विभाग ने ऐसे लोगों का चिंहाकन भी कर लिया है और उनसे बात करके उनके खेतों के मेड़ो में बांस लगाने की सलाह दे रही है। विभाग का मानना है कि बांस लगाए जाने से हाथियों को खाने के लिए चारा भी मिल जाएगा और यदि खेतों में हाथी पहुंच कर बांस खाने के लिए तोड़ेगा तो उसकी आवाज से लोग भी सर्तक हो जाएंगे। विभाग से मिली जानकारी के अनुसार अब तक ५०० किसानों के साथ बास लगाने की बात पर सहमती भी बन गई है।
& ओडिशा और झारखंड के बार्डर से एलीफेंट कॉरिडोर बनाए जाने की योजना है और इस पर काम भी चल रहा है। कॉरिडोर में हाथियों के आवास के साथ भोजन और पानी की भी व्यवस्था की जाएगी। बांस लगाने के लिए किसानों ने अपनी सहमति दे दी है।
श्रीकृष्ण जाधव, डीएफओ जशपुर


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