scriptजशपुर जिले में मिले हैं, पाषाणकालीन सभ्यता के प्रमाण | Found in Jashpur district, proof of stone civilization: Collector | Patrika News

जशपुर जिले में मिले हैं, पाषाणकालीन सभ्यता के प्रमाण

locationजशपुर नगरPublished: Jun 16, 2019 10:57:50 am

Submitted by:

Murari Soni

जशपुर में दो दिवसीय नेशनल सेमीनार का किया गया आगाज

Found in Jashpur district, proof of stone civilization: Collector

जशपुर जिले में मिले हैं, पाषाणकालीन सभ्यता के प्रमाण : कलक्टर

जशपुरनगर. पुरातत्व एवं पर्यावरण विषय पर दो दिवसीय नेशनल सेमीनार का शनिवार को जिला पंचायत के ऑडिटोरियम में दीप प्रज्जवलित कर शुभारंभ करते हुए कलक्टर निलेश कुमार क्षीरसागर ने कहा कि जशपुर जिला पुरातत्व एवं पर्यावरण की दृष्टि से बेहद समृद्ध है। यह सुदूर आदिवासी क्षेत्र होने के कारण अभी तक यह इलाका सर्वेक्षण एवं गहन अध्ययन से अछूता रहा है। यही वजह है कि पुरातात्विक महत्व के कई तथ्य सामने सामने नहीं आ पाए हैं। जशपुर जिले में पाषाणयुगीन काल की सभ्यता के प्रमाण मिले हैं। इससे संरक्षित करने की जरूरत है।
कलक्टर ने कहा कि जशपुर अंचल में पाषाणयुगीन काल की हाल फिलहाल में 3-4 स्थान प्रकाश में आए हैं। यहां उत्तर पाषाण काल के भी स्थल विद्यमान हैं। उन्होंने कहा कि जशपुर जिला प्रशासन द्वारा आयोजित इस दो दिवसीय नेशनल सेमीनार के आयोजन का मुख्य उद्देष्य यह है कि पुरातत्ववेत्ताओ, इतिहासकारों एवं पर्यावरणविदों के माध्यम से जिले के समृद्ध पुरातत्व को संरक्षित एवं संवर्धित करने एक दिशा मिले। इस अवसर पर उन्होंने जिला पुरातत्व संग्रहालय के स्थापना के लिए की जा रही पहल और जिले के पुरातत्व, इतिहास को संरक्षित एवं संवर्धित करने के लिए लोगों से सहयोग की अपील की। इस दो दिवसीय संगोष्ठ की अध्यक्षता करते हुए इन्द्रपस्थ विश्वविद्यालय के शोध निदशक प्रोफेसर सर्वेशदत्त त्रिपाठी ने कहा कि सिर्फ सड़क, पुल, पुलिया, रेल, रोड एवं भवनों के निर्माण को ही विकास नहीं कहा जा सकता है। स्थायी विकास के लिए नव निर्माण के साथ-साथ अपने विरासत, पर्यावरण, जैव विविधता, परंम्परा एवं संस्कृति को भी सहेजना एवं संवारना भी जरूरी है। उन्होंने पुरातत्व एवं पर्यावरण विषय पर कलक्टर निलेश कुमार क्षीरसागर की विषेष पहल पर जशपुर में दो दिवसीय नेषनल सेमीनार के आयोजन के लिए उन्हें साधुवाद देते हुए कहा कि इस आयोजन की जितनी भी सराहना की जाए कम है। उन्होंने कहा कि इस तरह का आयोजन हमें सतत् और संतुलित विकास की ओर ले जाता है। प्रोफेसर त्रिपाठी ने जशपुर अम्बिकापुर से लगे सोनभद्र की विन्ध्य और कैमूर की पहाडिय़ों में पुरातात्विक महत्व के स्थलों एवं मूर्तियों के शोध पर प्रकाश डाला और कहा कि धरोहरों को सहेजने के लिए लोगों को जागरूक करने की जरूरत हैं। सेमीनार का शुभारंभ मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवलन से हुआ। इस अवसर पर कलक्टर निलेश कुमार क्षीरसागर,डीएफओ श्रीकृष्ण जाधव, प्रोफेसर सर्वेश त्रिपाठी, प्रो. केके अग्रवाल, रविशंकर विश्वविद्यालय रायपुर के इतिहास विभाग की अध्यक्ष प्रो. आभा रूपेन्दर पाल, प्रो. नरेन्द्र यादव, डॉ. विजय रक्षित, डॉ. बीडी दिवान, प्रो. बीके पटेल व अन्य शामिल थे।
सांसस्कृतिक संध्या का हुआ आयोजन
जशपुर जिले के २१ वीं वर्षगांठ के अवसर पर जिला प्रशासन के द्वारा आयोजित दो दिवसीय सेमीनार में संास्कृतिक संध्या का भी आयोजन किया गया।कार्यक्रम की प्रस्तुती के लिए आए अवेय बैंड पार्टी के कलाकरो ने अपनी शानदार प्रस्तुती दी। इस अवसर पर अभिनव गोस्वामी,यश खंडेलवाल,सूर्यांश सोनी,आदित्य मंहत सिंह ने सुमधुर गीत संगीत की प्रस्तुती से सभी का मन मोह लिया।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो