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जशपुर में स्थापित डेयरी परियोजना को शुरू करने फिर एक बार जागी उम्मीद

locationजशपुर नगरPublished: Apr 15, 2019 09:40:48 pm

Submitted by:

BRIJESH YADAV

प्रतिदिन 15000 लीटर क्षमता वाली इस बंद डेयरी का संचालन अब करेगा पशुधन विकास विभाग

Hope to start once again in Dairy Project established in Jashpur

जशपुर में स्थापित डेयरी परियोजना को शुरू करने फिर एक बार जागी उम्मीद

जशपुरनगर. जिले में दूध के व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए शासन की ओर से जिला मुख्यालय में वर्ष 2005 में डेयरी की स्थापना की गई थी, लेकिन डेयरी परियोजना कुछ दिनों तक संचालित होने के बाद बंद हो गई। डेयरी परियोजना के भवन में ताला लग जाने से भवन सहित भवन में पड़े लाखों रूपए के मशीन अब जर्जर होना शुरू हो गए हैं। दो वर्षो तक परियोजना संचालित होने के बाद से यह बंद पड़ा हुआ है। लगभग १२ वर्षो से बंद पड़े परियोजना को जिला प्रशासन के द्वारा फिर से शुरु करने का प्रयास किया जा रहा है। इसके प्रारंभ हो जाने से जिले के दूध व्यवसायियों को फायदा मिलेगा।
जिला मुख्यालय के भागलपुर बरटोली में वर्ष 2005 में दूध विकास परियोजना की शुरूआत की गई थी। प्रारंभिक स्तर में ही परियोजना लडख़ड़ाने लगी थी। अधिकारियों को संयंत्र के लिए दूध जुटाने में ही पसीना छूटने लगा। पूरी ताकत और संसाधन झोंकने के बाद भी सौ लीटर से अधिक दूध एकत्र नहीं कर पा रहे थे। यहां के कर्मचारी दूध एकत्र करने के लिए पूरे जिले का दौरा करते थे, लेकिन एक दिन में जितना दूध यहां के कर्मचारी एकत्र कर पाते उससे ज्यादा का उन्हें वाहन में डीजल लग जा रहा था। दूध एकत्र करने में लगने वाले लागत को देखते धीरे धीरे यह केद्र बंद होने के कगार पर पंहुच गया और एक वर्ष तक जैसे तैसे इस केंद्र का संचालन यहां के कर्मचारियों के द्वारा किया गया। इस दौरान विभाग ने जिले के पशु पालकों से दूध एकत्र करने 40 समितियों का गठन किया था। इन्हीं समितियों से दूध क्रय किया जाना था। लेकिन समितियों से जुड़े पशु पालकों ने सरकार को दूध बेचने के बजाये सीधे ग्राहकों को बेचने में अधिक रुची ले रहे थे। विभाग के द्वारा समितियों से 17 से 20 रुपए प्रति लीटर की दर से दूध क्रय कर रहे थे। वहीं पशु पालक विभाग को ना बेचते हुए २५ से ३० रुपए लिटर में बाजार में अपने दूध का क्रय कर रहे थे। जिससे विभाग को पर्याप्त मात्रा में दूध उपलब्ध नहीं हो पा रहा था।
जिला प्रशासन ने शुरु की पहल : वर्षो से बंद पड़ी दुग्ध डेयरी को फिर से चालू कराए जाने की पहल जिला प्रशासन ने शुरू कर दी है। प्रतिदिन 15000 लीटर क्षमता वाली इस बंद डेयरी का संचालन अब पशुधन विकास विभाग के द्वारा किया जाएगा। कलक्टर निलेश कुमार महादेव क्षीरसागर ने 25 मार्च को दुग्ध डेयरी केन्द्र का मुआयना किया था और इस परियोजना को प्रारंभ करने के लिए पशुधन विभाग को आवष्यक दिश निर्देश जारी कर दिए हैं। जशपुर की बंद दुग्ध डेयरी को हाईकोर्ट के निर्देश के अनुसार शुरू कराया जाएगा। इसमें जिले में दुग्ध आपूर्ति की व्यवस्था को बेहतर बनाने के साथ दुग्ध उत्पादक कृषको को आर्थिक लाभ होगा। उन्होंने कहा कि मिल्क रूट के किसानों को फिर से जोड़ा जाएगा एवं उनसे दूध क्रय कर डेयरी के माध्यम से विक्रय की व्यवस्था की जाएगी। इसके साथ ही आवश्यक मशीनरी एवं पैकेजिंग की व्यवस्था भी की जाएगी।

खराब हो रही भवन और लाखों की मशीन्ें : परियोजना को शुरू करने के लिए जिला मुख्यालय के भागलपुर बरटोली में एक भवन का निर्माण कर उसमें लाखों रुपए किमत के मशीन की स्थापना कर इस परियोजना को प्रारंभ किया गया था। कुछ दिनों तक परियोजना का संचालन होने के बाद इस परियोजना को दुग्ध महासंघ को सौप दिया गया था। पशु चिकित्सा विभाग से मिली जानकारी के अनुसार दुग्ध महासंघ को इस परियोजना को सौप दिए जाने के बाद यहां के कर्मचारियों को अद्र्ध शासकीय संस्था में कार्य करने में परेशानी होने लगी थी। जिसे देखते हुए दुग्ध परियोजना के कर्मचारी न्यायालय चले गए थे। जिसके बाद यहां के कर्मचारियों को शासन ने पशु पालन विभाग में मर्ज कर दिया था। शासन के आदेश के बाद यहां के कर्मचारी पशु पालन विभाग में शामिल होते हुए वहां के सारे दस्तावेजों को पशु पालन विभाग को सौप दिया गया था। लेकिन भवन और वहां स्थापित संयत्रों को अब तक किसी भी विभाग को हैंडओवर नहीं किया गया है। जिसके कारण यहां के भवन में ताला लटके रहने के कारण बीना उपयोग के भवन और मशीन दोनो खराब होना शुरू हो गया है।
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