डॉक्टरों ने कहा मत निकलना दोपहर के बाद घर से बाहर, गर्मी बढऩे से सिविल हास्पिटल में उल्टी दस्त के मरीजों की बढ़ी संख्या
जशपुर नगरPublished: May 03, 2019 02:48:53 am
डॉक्टरों ने दोपहर के बाद बाहर निकलने से परहेज की दी सलाह
डॉक्टरों ने कहा मत निकलना दोपहर के बाद घर से बाहर, गर्मी बढऩे से सिविल हास्पिटल में उल्टी दस्त के मरीजों की बढ़ी संख्या
पत्थलगांव. गर्मी का पारा बढ़ते ही मौसमी बीमारी ने लोगो को अपनी चपेट मे लेना शुरू कर दिया है। इन दिनों सुबह से सिविल अस्पताल में मरीजो की संख्या खचाखच भरी देखी जा सकती है। इन मरीजो मे अधिकंाश लोग उल्टी दस्त से परेशान होकर यहां पहुंच रहे हंै। डॉक्टरो के द्वारा जरूरी एंटीबायोटिक दवा देने के अलावा भरी दोपहरी में घर से बाहर ना निकलने की सलाह दी जा रही है।
दरअसल इस बार पिछले वर्ष की अपेक्षा कही अधिक गर्मी पड़ रही है,ऐसे मे लोगो को लू लगने के साथ उल्टी दस्त की भी शिकायत हो रही है। ब्लाक चिकित्सा अधिकारी डॉ. जेम्स मिंज ने लोगो को दोपहर के दौरान काम काज धूप मे ना रहकर करने की हिदायत दी। उनका कहना है कि बढ़ती गर्मी से होने वाली कुछ मौसमी बीमारियों से बचने के लिए दवाओ से ज्यादा खुद के उपाय कारगार साबित होंगे। उनका कहना है कि सुबह का समय खत्म होकर धूप चढ़ते ही बाहर निकलते वक्त मुंह मे कपड़ा बांधकर चलना चाहिए। जिससे हवा के गर्म थपेडे या लू शरीर को ना लग सके। उन्होने बताया कि घर से निकलने से पहले तरल प्रदार्थ का भरपूर सेवन करना चाहिए। उनका कहना था कि कच्चे आम का रस के अलावा ग्लूकोज, इलेक्ट्राल पावडर या नींबू की शिकंजी का सेवन करने से लू के थपेडो से बचा जा सकता है।
घरेलू नुस्खे कामगार
डॉ. जेम्स मिंज ने बताया कि लू लगने के दौरान दवाओ से ज्यादा लू के दौरान घरेलू नुस्खे काम आते हंै। उन्होने बताया कि गर्मी की शुरूवात या प्रत्येक मौसम परिवर्तन के दौरान मौसमी बिमारी लोगो को एक बार तंग करने का काम करती है। उन्होने बताया कि इन दिनो गर्मी का पारा काफी बढ़ा हुआ है,जिसके कारण दोपहर के तेजी से गर्म हवाएं चल रही हैं। ये हवाएं शरीर को स्पर्श करने के बाद एक विपरीत असर छोड़ जाती है,जिसके कारण अक्सर लोगो को उल्टी दस्त के अलावा लू की बिमारी चपेट में ले लेती है,जिसके लिए मरीजो को ऐसी शिकायत होने पर तत्काल हास्पिटल पहुंचकर डॉक्टरो से सलाह लेनी चाहिए।
झाड फंूक मे ना गवाएं जान
डॉ. जेम्स मिंज ने किसी भी मौसमी बिमारी के फैलने पर गांव मे रहने वाले नीम हकिम के चक्कर में पड़ कर झाड फंूक के जरिये जान ना गंवाने की सलाह दी है। उनका कहना है कि ग्रामीण क्षेत्र मे अक्सर सर्तकता एवं जागरूकता के अभाव के कारण मामूली सी बिमारी फैलकर गंभीर बिमारी का रूप ले लेती है,जिसमे ग्रामीणो की जागरूकता एवं सर्तकता की कमी देखने को मिलती है। उनका कहना है कि समय-समय पर चिकित्सा विभाग के द्वारा शिविर का आयोजन कर ऐसी बीमारी एवं झाड फूंक के चक्कर में किसी प्रकार का उपचार ना कराने की हिदायत दी जाती है। उन्होने बताया कि अक्सर ग्रामीण तबका के लोग मौसमी बीमारी को देवीय प्रकोप मानकर झाड फूंक के माध्यम से छोटी बीमारी को गंभीर बीमारी के सिरे तक पहुंचा देते है। जिससे अनेक बार इनकी जान भी चली जाती है। उन्होंने ग्रामीण परिवेश के लोगो को नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र मे जाकर सेहत की जांच कराने की सलाह दी।