जिले में आम, नाशपाति के साथ-साथ लीची की भरपूर पैदावार होती है। यहां का मौसम लीची के लिए अनुकूल होने के कारण गांव-गांव में लीची की पैदावार ली जाती है। पिछले कुछ दिनों से ही लीची की आवक शुरू हो गई है। अप्रैल अंत में लीची के पेड़ों में फल आने शुरू हो जाते हैं। यदि मौसम अनुकूल रहा तो 15 से 20 दिनों में ही फल तैयार हो जाते हैं। लीची अब क्षेत्र के किसानों के लिए अतिरिक्त आय का जरिया बन गई है। लीची के उत्पादन से होने वाले लाभ को देखते हुए अब बड़ी संख्या में किसान इसका उत्पादन कर रहे हैं। वहीं उत्पादन को बढ़ाने के लिए सरकार ने इसे राष्ट्रीय बागवानी मिशन से जोड़ दिया है। इस मिशन के तहत उद्यान विभाग क्षेत्र के किसानों को लीची उत्पादन के लिए प्रेरित करने के साथ-साथ उन्हें मुफ्त में लीची के पौधे भी वितरित कर रहा है। इसके साथ ही किसानों को पौधों की देखभाल के तरीके एवं उनके विकास के लिए आश्यक खाद एवं दवाई उपलब्ध करा रहा है। जिले में लीची उत्पादन का रकबा प्रतिवर्ष बढ़ रहा है। किसान भी लीची उत्पादन के लिए रुचि ले रहे हैं।
राजधानी सहित अन्य शहरों में होती है सप्लाई : जिले की लीची रायगढ़, बिलासपुर, चांपा, कोरबा, रायपुर सहित अन्य क्षेत्रों के व्यापारी भी यहां से लीची ले जाते हैं। व्यापारी पेड़ में लगी फसल को थोक में खरीद लेते हैं। जैसे ही फल तैयार हो जाता है। उसे फल बाजार में भेज दिया जाता है।